[[श्रेणी:हिन्दी_साहित्य]]
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[[Image:Bal_vikas_part_1_hindi.jpg” /> बाल विकास (भाग-1)कवर पेज]]
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! colspan=”2″ bgcolor=”#6699FF” style=”font-size: larger;” ” बाल विकास(भाग-1) के विषय में
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” प्रकाशक
” दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर
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” लेखक
” गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी
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” पुस्तक के विषय में
” बालकों को जैनधर्म का प्रारंभिक ज्ञान अर्जित कराने के लक्ष्य से पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी ने सन् १९७४ में ‘‘बाल विकास’’ नाम से ४ भाग लिखे हैं। उनमें से प्रथम भाग में अनादिनिधन णमोकार महामंत्र से प्रारंभ करके मंत्र की महिमा, मंत्र के अपमान का कुफल, चौबीस तीर्थंकरों के नाम और चिन्ह, देवदर्शन की विधि आदि के १४ पाठ इस बालविकास में हैं। यथास्थान सभी पाठों के चित्र होने से बच्चों को शीघ्रता से पाठ का अभिप्राय समझ में आ जाता है।
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” पुस्तक पढने के लिए
” [[बाल_विकास(भाग-1)पढ़ें”यहाँ क्लिक करें]]
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