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राग से जीव बंधता है
आचार्यश्री कुन्दकुन्द देव ने कहा है –
सुदपरिचिदाणुभूदा , सव्वसवि कामभोग बंध कहा “एयत्तसुवलंभो ,णवरि ण सुलहो विहत्तस्स “”