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सम्पादकीय- १!

November 7, 2017Special ArticlesLord Shantinath
==
संपादकीय- १
== प्रिय पाठकों! आज युग की आवश्यकतानुसार [[जैनधर्म]] का यह [[इनसाइक्लोपीडिया]] आपके समक्ष प्रस्तुत हो रहा है। इसमें प्रारंभिक स्तर पर ध्यान देना है कि इस जैन [[इनसाइक्लोपीडिया]] में हम केवल [[दिगम्बर]] जैनधर्म से संबंधित सामग्री को ही एक जगह संग्रहीत कर रहे हैं ताकि जनसाधारण से लेकर पढ़े-लिखे विद्वानों तक भी इसके माध्यम से प्रत्येक विषय को खोज सकें। चूकि इस [[इनसाइक्लोपीडिया]] के निर्माण में हमें [[दिगम्बर]] जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी, विश्वविद्यालयों के द्वारा दो-दो बार डी.लिट्. की मानद उपाधि से विभूषित पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी का शुभाशीर्वाद एवं साक्षात् निर्देशन प्राप्त हो रहा है अतः इसमें प्रस्तुत सम्पूर्ण सामग्री [[दिगम्बर]] जैन मान्यतानुसार प्रामाणिक है।
इसके प्राथमिक स्वरूप का सम्पादन करते हुए मुझे भी गौरव का अनुभव हो रहा है कि भगवान [[महावीर]] की परम्परा में [[श्रीकुन्दकुन्दाम्नाय]] और सरस्वतीगच्छ की अभिवृद्धि करने वाले बीसवीं सदी के प्रथम [[दिगम्बर]] जैनाचार्य [[चारित्रचक्रवर्ती श्री शांतिसागर मुनि महाराज]] (समय-सन् 1872-1955) के प्रथम शिष्य चारित्रचूड़ामणि [[आचार्य श्री वीरसागर महाराज ]](समय-सन् 1876-1957) हुए। उनकी परम विदुषी शिष्या बीसवीं सदी की प्रथम [[बालब्रह्मचारिणी]] जैन साध्वी के रूप में गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी (जन्म-सन् 1934 एवं त्यागी जीवन प्रारंभ-सन् 1952 से) वर्तमान में सरस्वती माता की प्रतिमूर्ति के रूप में साधु जगत एवं विद्वत् समाज में मान्यता को प्राप्त हैं। इनके अनेक शिष्य-शिष्याओं में मैं ([[आर्यिका चंदनामती]]) स्वयं को अतिसौभाग्यशाली मानती हूँ, क्योंकि पिछले 44 वर्षों से (सन् 1969 से) मुझे इनका साक्षात् सान्निध्य और सतत ज्ञानामृत पान का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हो रहा है।
पूज्य माताजी के संबंध में ये पंक्तियां सार्थक बैठती हैं-
सच तो इस नारी की शक्ति जग ने पहचान न पाई है।
मंदिर में मीरा है तो वह रण में भी लक्ष्मी बाई है।।
है ज्ञानक्षेत्र में ज्ञानमती नारी की कला निराली है।
सच पूछो नारी के कारण यह धरती गौरवशाली है।।
उन गुरुमाता श्री ज्ञानमती माताजी का मंगल आशीर्वाद प्राप्त करके हम लोगों ने इस जैन [[इनसाइक्लोपीडिया]] का कार्य प्रारंभ किया है। लगभग 10-12 वर्षों से मेरे मन में [[इनसाइक्लोपीडिया]] बनाने की भावना चल रही थी किन्तु उसका संयोग सन् 2012 में आया है।
एक दिन सितम्बर 2012 को हरिद्वार-उत्तराखंड निवासी श्रावकरत्न श्री जे.सी. जैन (Founder of Coer) ने आकर पूज्य माताजी के समक्ष अपनी मनोभावना व्यक्त की कि माताजी! मेरी प्रबल भावना है कि एक आॅनलाइन जैन [[इनसाइक्लोपीडिया]] बने, जिसके माध्यम से [[जैनधर्म]] की सम्पूर्ण जानकारी (चाहे वह साहित्य संबंधी हो, समाज संबंधी हो, तीर्थ या मंदिरों से संबंधित हो, साधु-साध्वियों की हो, ज्योतिष-वास्तु-भूगोल-खगोल, विद्वान, संस्था आदि कुछ भी हो) एक जगह संग्रहीत होकर सबके लिए उपयोगी बन सके।
एक गृहस्थ श्रावक की ऐसी सर्वजनहिताय की भावना सुनकर हम लोगों को बड़ी सुखद अनुभूति हुई। साथ में उनकी धर्मपत्नी सौ. सुनीता जैन की भी बड़ी उदार एवं प्रतिभा सम्पन्न विचार धारा से भी परिचित होकर और अधिक अच्छा लगा अतः स्वामी विवेकानन्द के एक वक्तव्य की पढ़ी हुई पंक्तियाँ याद आ गईं कि-
‘‘महिलाएं हमारे देश की 50 प्रतिशत शक्ति हैं। यदि मुझे इस देश की सुशिक्षित महिलाएं मिल जाएं तो मैं देश के भविष्य को बदल सकता हूँ।’’
मैं इन्हें एक विशिष्ट ज्ञानी दम्पति मानती हूँ और [[इनसाइक्लोपीडिया]] के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में तथा इनके द्वारा स्थापित ट्रस्ट “[[श्री रोशनलाल जैन ट्रस्ट]]” के द्वारा सर्वोपयोगी आर्थिक सहयोग प्रदान करने हेतु मंगल आशीर्वाद के साथ-साथ इनके दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की मंगल कामना करती हूँ।
कुछ विद्वानों के साथ इस संबंध में मीटिंगें हुईं, उनसे भी अनेक सुझाव प्राप्त हुए। पुनः जे.सी. जैन की भावना देखते हुए पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणावश मैंने कहा कि-यह ‘‘जैन [[इनसाइक्लोपीडिया]]’’ पूर्णतः [[दिगम्बर]] जैन आम्नाय पर आधारित बनाया जावे। इसकी सामग्री पूर्ण प्रामाणिक रखने की जिम्मेदारी मैं ले सकती हूँ। पूर्व की मेरी रुचि ने पुनः साकार रूप लिया और मैं इसमें गहरी रुचि लेने लग गई। मेरी पूज्य गुरु श्री ज्ञानमती माताजी ने मुझे अत्यधिक प्रोत्साहित किया, इसलिए हिम्मत जुटाकर मैंने इसमें संकलित विषयों के प्रमुख सम्पादन का कार्यभार लेना स्वीकार किया है। इसमें प्रारंभिक स्तर पर मेरा सभी पाठकों से अनुरोध है कि निम्न बिन्दुओं पर ध्यान देकर आप इस [[इनसाइक्लोपीडिया]] को वृहत् स्तरीय स्वरूप अर्थात् ज्ञान का महासमन्दर बनाने में हमारा सहयोग प्रदान कर सकते हैं-
(1) आपके शहर, नगर, कस्बे या गांव के निकट जो भी तीर्थ हैं तथा गाँव में जितने भी [[दिगम्बर]] जैन मंदिर हैं, उनके शिखर सहित फोटो, मंदिर की वेदियों के फोटो खिंचवाकर एवं वेदी में विराजमान भगवन्तों की संख्या (पद्मासन-खड्गासन, धातु-पाषाण एवं रत्नों की अलग-अलग) लिखकर सारा मैटर सी.डी. में टाइप करवाकर कार्यालय पर भेजें। आपके द्वारा प्रेषित सामग्री समाज के अधिकृत पदाधिकारी (अध्यक्ष-मंत्री आदि) के हस्ताक्षर सहित होनी चाहिए, ताकि प्रेषक के नाम से ही वह सामग्री इसमें समाविष्ट की जा सके।
(2) [[इनसाइक्लोपीडिया]] कार्यालय में आप अपने गांव-शहर के [[दिगम्बर]] जैन घरों एवं सदस्यों की संख्या, मंदिरों की संख्या, वर्तमान सामाजिक कमेटी के कम से कम दो -तीन पदाधिकारियों (अध्यक्ष, महामंत्री, कोषाध्यक्ष) के पूरे पते (फोन नं. सहित) अवश्य लिखकर भेजें। साथ ही आपके समाज में कोई युवा संगठन, महिला संगठन, पारमार्थिक संस्था (औषधालय- विद्यालय-कालेज) आदि हैं, तो उनके भी पते लिख दें।
(3) आपके यहाँ कोई आचार्य-मुनि-आर्यिका आदि प्रभावक साधु के माध्यम से कोई विशेष प्रभावना महोत्सव हो रहा हो, तो उसकी 8-10 लाइन का संक्षिप्त समाचार एवं एक अच्छा फोटो भेजें। उसे यथास्थान जोड़ा जा सकता है।
(4) आपके मंदिर या पुस्तकालय में कोई प्राचीन हस्तलिखित अमूल्य साहित्य है तो उसे स्केन करवाकर भेज सकते हैं। [[इनसाइक्लोपीडिया]] के माध्यम से उनका प्रचार पूरे विश्व में होगा।
(5) यदि आपका नगर किसी सन्त या साध्वी की जन्मभूमि है, तो उनका भी संक्षिप्त परिचय और फोटो भेज सकते हैं ।
(6) [[दिगम्बर]] जैन समाज के विद्वानों से अनुरोध है कि इस [[इनसाइक्लोपीडिया]] में जोड़ने हेतु आप किसी विषय में यदि अपना शोधपूर्ण आलेख ([[दिगम्बर]] जैन परम्परानुसार) भेजना चाहते हैं, तो हिन्दी या अंग्रेजी में उसे टाइप करवाकर उसकी सी.डी. (खुलने वाला टाइप फाेन्ट डालकर) कार्यालय पर भेजें ।
(7) इनसाइक्लोपीडिया से संबंधित आप अपने अमूल्य सुझाव भी ईमेल द्वारा भेज सकते हैं ।
[[दिगम्बर]] जैन त्रिलोक शोध संस्थान, जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में इस इनसाइक्लोपीडियाका प्रमुख कार्यालय संचालित किया जा रहा है । हमारे साथ पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती का पूरा दिशानिर्देश एवं आशीर्वाद तो है ही, साथ में जम्बूद्वीप के यशस्वी पीठाधीश स्वस्तिश्री कर्मयोगी रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी का स्नेहिल सहयोगात्मक निर्देशन हमें इसके निर्माण में सभी साधन-सुविधाओं के साथ पूर्ण सहयोग प्रदान कर रहा है। हमारे संघस्थ आर्यिका स्वर्णमती जी इस प्रोजेक्ट में गुरु आज्ञा पालन करके सदैव मुझे सहयोग देती हैं और युवारत्न जीवन प्रकाश जैन मुझे सहयोग प्रदान करने के साथ-साथ इनसाइक्लोपीडिया आॅफिस का पूरा कार्यभार भी संभालकर अपनी गुरुभक्ति का परिचय दे रहे हैं । (8) इन्साइक्लोपीडिया में कुछ भी लिखने या संपादन करने से पूर्व आप इसके मुख्य पृष्ठ पर लिखे हुए ” अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ” खोलकर अवश्य पढ़ें ।
(9) किसी भी समस्या के उपस्थित होने पर आप तकनीकी इंजीनियर से संपर्क करें ।
— प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती
[[श्रेणी:सम्पादकीय]]
Tags: Chandanamati Mataji, Editorial
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