अध्यात्म प्रवाह
अध्यात्म प्रवाह (परमात्मप्रकाश ग्रंथ के आधार से) चिदानंदैकरूपाय जिनाय परमात्मने। परमात्मप्रकाश नित्यं सिद्धात्मने नम:।। प्रभाकरभट्ट मुनिराज भावशुद्धिपूर्वक पंचपरमेष्ठी को नमस्कार करके श्री योगीन्द्रदेव गुरुराज से निर्मल भाव करके भक्तिपूर्वक प्रश्न करते हैं- गउ संसारि वसंता हं सामिय कालु अणंतु। पर मइँ किं पि ण पत्तु सुहु दुक्खु जि पत्तु महंतु।। हे स्वामिन्! इस संसार में…