जैसे सरोवर की शोभा कमल से होती है, पक्षी की शोभा उसके पंखों से है, भोजन की शोभा नमक से होती है, नारी की शोभा शील से होती है, सुन्दर गीत सुरीले कंठ से सुशोभित और आकर्षक बन जाता है, सर्वोदयी विश्वधर्म भी अहिंसा के पालन से ही शोभायमान एवं विश्ववंद्य होता है, भारत की शोभा आध्यात्मिक संतों से वृद्धिंगत होती है उसी प्रकार हमारे धर्मप्राण भारतीय समाज की शोभा विशिष्ट बुद्धिजीवियों से है। आप सभी दिगम्बर जैन समाज के विशेष बुद्धिजीवी व्यक्तित्व के रूप में पधारे हैं।
आज की यह Conference मुम्बई DJPF अर्थात् Digambar Jain Professional Forum दिगम्बर जैन प्रोफेशनल फोरम के द्वारा organized है। पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से निर्मित इस फोरम के सभी Executive Members विशेष आशीर्वाद एवं बधाई के पात्र हैं। उन्हें इस फोरम के द्वारा आगे निरन्तर सामाजिक संगठन-एकता एवं जैनधर्म के संरक्षण आदि के कार्य करते हुए अपनी युवा शक्ति का सृजनात्मक (Constructive) परिचय देना है।
Religious Gentle Men & Professionals! I want to tell you the definition of PROFESSIONAL word. Twelve letters are there in this Word. First Letter of Professional is- P P-Proficient Personality Person is noun and Personality means the great virtues of the Person, so I think that all of you are the special Proficient Personalities of the Jain Community. You have come here to get the right knowledge and to learn the Jain way of human life from supreme Personality Jain Sadhvi Ganinee Pramukh Shri Gyanmati Mataji. She is also double D.Litt. degree holder first Doctor Mataji of Jain Society and now She will cure your Souls. Second Letter is-R R-Religious I understand that all of you are religious Persons because you perform your duties for your family, society & clients etc. Worship of God or prayer are not only the religion but performing the duties is also the religiousness and humanity.
अर्थात् मानवता के प्रति सजग रहना और एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह करना बहुत बड़ा धर्म है। इसीलिए Human life के लिए कुछ वाक्य बड़े सुन्दर कहे हैं-
Human life is a gift -Accept it.
Human life is a love -Enjoy it.
Human life is a struggle -Fight it.
Human life is a tragedy -Face it
and Human life is a duty -Perform it.
संसार में मनुष्य गति के रूप में प्राप्त इस अमूल्य उपहार को केवल भौतिक आकर्षण में फंसकर गंवाना नहीं है। संघर्षों में भी अपने धैर्य का परिचय देना है। विषम परिस्थितियों का सामना करना है और अपने कर्तव्य का सदैव निर्वाह करके उसे सार्थक करना है।
अब प्रोफेशनल में तीसरा शब्द है-O O-Om Om is eternal Mahamantra. This is the short form of Namokar Mantra. इस मंत्र का ध्यान करने से शारीरिक स्वस्थता एवं आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। आप सभी अपना कार्य शुरू करने से पूर्व ‘‘ॐ ह्रीं नम:’’ मंत्र को ९ बार अवश्य पढ़ें, सभी विघ्न बाधाएं दूर होंगी।
After this, fourth letter of Professional is-F F-Faithful अर्थात् विश्वासपात्र You and we or everybody wants to live a faithful life with his work, family & relatives etc.
आप सबके विश्वासपात्र बनकर और अन्यों को अपना विश्वासपात्र बनाकर समाज और देश को जो सेवाएँ प्रदान करके कर्तव्य निर्वाह करते हैं। वही आपकी Super Quality और Personality का Expression है। पुन: पाँचवां अंग्रेजी शब्द है इसमें-E E-Economic (अर्थ) I think that every work of your worldly life is to be Economically stable. But you must think that we will not live only for earning money but we will earn money for leading life.
अर्थात् धन की प्राप्ति करके उसे व्यसनों में न गंवाएं, बल्कि एक दानी और परोपकारी बनकर उस धन का सदुपयोग करना अपना लक्ष्य बनाएं आप डॉक्टर हैं, तो कुछ गरीबों का नि:शुल्क इलाज करने की भावना रखें, एडवोकेट हैं तो किसी के केस हमदर्दी के साथ न्यायोचित ढंग से प्रस्तुत करें। आप चिन्तन करें कि हम पहले तो मानव हैं, उसके बाद हमारा व्यवसाय है। अत: हमें मानवता के नाते पहले मानव की सहायता करना है।
आगे शब्द है-S S-Social सोशल अर्थात् सामाजिक जीवन जीने हेतु आनंद की अनुभूति करें, क्योंकि वर्तमान का जीवन आज आधुनिक साधन सुविधाओं से भरपूर तो हो गया है किन्तु इन Mobile, Computer आदि के माध्यम से पारिवारिक सुख Mobile, Computer तक सिमट गया है अत: मनुष्य अपनों से दूर होकर Tension की जिंदगी जी रहा है इसीलिए उसके Body hormones unbalanced होकर अनेक प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न कर रहे हैं।
अत: फिर से आवश्यकता है खुद को सोशल बनाने की और आगे की पीढ़ी को अपने सामाजिक कर्तव्य को निभाने की शिक्षा भी दें। हम प्रार्थना में बचपन में पढ़ते थे-
जिस देश जाति में जन्म लिया बलिदान उसी पर हो जावें ।
पर सेवा पर उपकार में हम जग जीवन सफल बना पावें ।।
वह शक्ति हमें दो दयानिधे ! कर्तव्य मार्ग पर डट जावें ।।
तथा इन पंक्तियों को भी सदैव ध्यान रखना चाहिए – ‘‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’’
After this second “S” letter denotes-Supremacy It means by Social services we & you can get supremacy or supreme post of humanity.
अर्थात् जैसे बड़ी-बड़ी परीक्षाओं में उत्तीर्णता प्राप्त करके आप लोग C.A., C.S, LLB. MBA, IAS, IPS आदि पदोें को प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार अपने समाज और देश के प्रति भी परिश्रमपूर्वक कर्तव्य निर्वाह करके Social Supremacy हासिल कर सकते हैं। जैसे आज ज्ञानमती माताजी कर्मठता-दृढ़ता-संकल्पशक्ति और कर्तव्य निष्ठता की जीवन्त प्रतिमा के रूप में हमारे समक्ष विराजमान हैं।
अनुकूल-प्रतिकूल सभी परिस्थितियों में खुश रहना और असंभव को भी संभव बनाने का विशेष सूत्र इनसे आपको सीखना है। मांगीतुंगी के ऋषभगिरि पर्वत पर निर्मित हुई १०८ फुट भगवान ऋषभदेव प्रतिमा इनकी Supremacy को दर्शाती है। जो सम्पूर्ण विश्व की एकमात्र Single Rock की Highest Idol के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुई है। आज इनका एनर्जी पॉवर ९७००० बॉविस स्केल आया है जो इनकी आत्मा की एल्ज्rास झ्दैी को बतलाता है।
आप भी इनसे divine Power प्राप्त करने के लिए ही तो आए हैं, तो मिलकर बोलें-
Human life is beautiful, make it more beautiful, Golden chance has come-2
भोजन है जरूरी जैसे, मानव शरीर शक्ति के लिए।
हो मंदिर के दर्शन करना, वैसे ही आवश्यक आत्मा के लिए।।
हो आत्मा की Strength बढ़ाकर, Human Power बनाएं, Golden chance has come-2
O Gentlemen and sisters! all of you wake up the earliest.
This life is the gift-love and duty you perform it.
So says this “Chandnamati” we do many worthy works, Golden Chance has come-2
अब आगे है-I I-Intelligent There is no doubt that all of you are very intelligent Personalities.
आप सभी अपनी-अपनी Intelligency के द्वारा अनेक कार्यों का संचालन करते हैं। कोई अपनी प्रज्ञा बुद्धि से मनुष्यों का इलाज और सर्जरी करके उनकी जान बचा रहे हैं, कोई प्रशासनिक क्षेत्र में अच्छे-बुरे लोगों के साथ न्याय करके कर्तव्य निभाते हैं, तो कोई-कोई बड़ी-बड़ी कम्पनियों का प्रबंधन देखते हैं। पूज्य माताजी के शिष्य जम्बूद्वीप के पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी का सर्वोत्तम प्रबंधन, कुशल नेतृत्व और उनके सर्वतोमुखी कार्य देख कर T.M.U. ने उन्हें ‘‘मैनेजमेंट गुरु’’ की उपाधि से अलंकृत किया, विद्वानों ने कर्मयोगी उपाधि प्रदान की, भट्टारकवर्ग ने धर्मसंरक्षणाचार्य बनाया और अनेक संस्थाओं ने ‘‘अभिनव चन्द्रगुप्त’’ की उपाधि दी।
यह उनकी Intelligency का ही प्रतीक है। हम लोगों को आप सभी की Intelligency का भी लाभ उठाकर सर्वोदयी जैनधर्म को जन-जन के हितकारी धर्म के रूप में आकाश की ऊँचाईयों तक पहुंचाना है। इसीलिए आज आपको पूज्य श्री ज्ञानमती माताजी जैसी महान तपस्विनी आर्यिका माताजी के सान्निध्य में आमंत्रित किया गया है।
अब प्रोफेशनल के इंग्लिश वर्ड में से नवमाँ Word है-O This ‘O’ letter has come second time. You should know here the meaning of ‘O’. O-Optimist (आशावादी)
अर्थात् आशावादी बनकर अपनी सोच को सदैव सकारात्मक बनाना आपकी सफलता का सर्वप्रमुख सूत्र होना चाहिए।
कहा भी है- नर हो न निराश करो मन को।
कुछ काम करो, कुछ काम करो।।
जग में रहकर कुछ नाम करो।
आशावादी मनुष्य हमेशा सफलता प्राप्त करता है। इसीलिए Try again try until you succeed वाली सूक्ति अपनाकर Be positive & think positive. फिर सफलता स्वयं आपके चरण चूमेगी। देखो! हमारे देश ने भी आशावादी विचारों से ३०० सालों से परतंत्र भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त कराई। स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास पढ़ें तो ज्ञात होता है कि ९० वर्ष चले संग्राम में जब-जब हमारे जवानों पर भयंकर अत्याचार आदि की विषम परिस्थितियाँ आईं, लोगों के विश्वास डांवा डोल होने लगे कि शायद हम इन फिरंगियों से जीत नहीं पाएंगे, तब-तब गांधी, नेहरू, सुभाषचंद बोस, चन्द्रशेखर आजाद, सरदार बल्लभ बाई पटेल आदि एक-दूसरे को आशावादिता की डोर से बंधे रहने का संदेश देते थे और सबने अपनी छाती पर पत्थर रखकर लड़ते हुए एक दिन देश को आजाद कर ही लिया।
मैंने एक मुक्तक में भाव खींचा है- एक नहीं कितनी गाथाएं, इतिहासों में छिपी हुई हैं।
वीर शहीदों की स्मृतियाँ स्वर्णाक्षर में लिखी हुई हैं।।
नहीं पुरुष की पौरुषता से केवल देश का मस्तक ऊँचा।
बल्कि नारियों ने हंस हंस कर मांग के सिंदूर को पोंछा।।
अर्थात् युवावीरों के साथ-साथ युवा नारियों ने भी देश के लिए अपना बलिदान इसीलिए दिया है कि उनके मन में आशा की एक किरण थी कि एक न एक दिन हमारा देश आजाद होकर ही रहेगा। तो प्यारे भाईयों-बहनों! आप सभी को आशावादी बनकर अपने जीवन में जिंदगी व्यतीत करते हुए मानव जन्म का मूल्यांकन करना है। अत: परिस्थितियों से कभी विचलित मत होना, यही Optimist होने का Essence है।
Tenth letter of the Professional is-N N-Natural About this, I know that Jain way of life is the natural life.
जैन जीवन शैली में Nature अर्थात् प्रकृति का समावेश है। यहां बनावटीपन अर्थात् दिखावा के लिए कोई स्थान नहीं है। खाने-पीने-सोने-जागने के साथ-साथ सम्पूर्ण Living style प्राकृतिक अर्थात् Natural ही है। इसीलिए हमारे संत दिगम्बर होते हैं। जो लोग इनके दिगम्बरत्व का रहस्य नहीं समझते, वे इन्हें नंगे कहते हैं।
किन्तु ध्यान रखना कि नंगा तो कोई भी हो सकता है किन्तु दिगम्बर कोई विरले ही मानव होते हैं, जो ब्रह्मचर्य की पराकाष्ठा को अपने निर्विकारी भावों से प्रदर्शित करते हैं, अत: उन्हें नंगा नहीं धरती के देवता के रूप में अन्य धर्म ग्रंथों में भी दिगम्बर महागुरु स्वीकार किया गया है। आप सब उस प्राकृतिक Natural धर्म जैनधर्म का पालन करने वाले गृहस्थ श्रावक-श्राविकाएं हैं अत: इस धर्म के सर्वोदयी सिद्धान्त-अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत के रहस्य को समझना आपका कर्तव्य है। पूज्य ज्ञानमती माताजी के जैन भारती ग्रंथ को आप हिन्दी-अंग्रेजी-मराठी-गुजराती आदि भाषाओं में www.jambudweep.org पर ऑनलाइन पढ़कर अच्छा ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
After this eleventh letter is-A A-Aim or Goal अर्थात् हर व्यक्ति के जीवन का अपना एक उद्देश्य होता है कि मुझे अपनी लाइफ में क्या बनना है और किस सीमा तक ऊँचाई प्राप्त करना है। उस उद्देश्य में आप सभी सफल हुए हैं और आगे इससे अधिक भी सफलता प्राप्त करने हेतु मंगल आशीर्वाद है। पुनश्च Twelwth and last letter of Professional is-L L-Liberation अर्थात् मोक्ष-निर्वाण या सिद्धपद बंधुवर! संसार की चारों गतियों में सर्वश्रेष्ठ गति मनुष्यगति है। इसे प्राप्त करके अपना लक्ष्य होता है-मोक्ष प्राप्त करना।
जैनधर्म इसके बारे में कहता है- Every creature is God independently. अर्थात् हर जीवधारी प्राणी स्वतंत्र रूप से एक परमात्मा-ईश्वर है उसमें शक्ति रूप में भगवान छिपा होता है। जैसे-दूध में घी, तिल में तेल, बीज में वृक्ष। उसे त्याग-तपस्या-संयम साधना-ध्यानसाधना आदि के द्वारा भगवान रूप में प्रगट किया जा सकता है। उसी मोक्षपथ के पथिक के रूप में आप भी हैं, क्योंकि गृहस्थ धर्म को जैन रामायण में मुनिधर्म का छोटा भाई कहा गया है।
आज के इस Professional Forum द्वारा आयोजित कार्यक्रम का सार यही है कि आप सभी अपनी योग्यता का मूल्यावंन करते हुए धर्म-अर्थ-काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों का क्रमश: पालन करें तथा धार्मिक-सामाजिक-मूल्यों को अपने उदार और सकारात्मक विचारों से सही रूप में पहचानें जिनशासन की अभिवृद्धि में अपना योगदान करके अपने जैनत्व के उद्देश्य को सार्थक करें और सच्चे श्रावक बनकर एक दिन मोक्षपथ के सच्चे पथिक बनें यही प्रेरणा है।
अंत में इतना ही कहूंगी-Count your garden by the flowers, Never by the leaves that fall.
Count your days by golden hours, Don’t remember clouds at all.