चारों अनुयोगों की सार्थकता
चारों अनुयोगों की सार्थकता जिनेन्द्र भगवान के मुखकमल से निर्गत पूर्वापर विरोधरहित जो वचन हैं उन्हें आगम कहते हैं। उसके ही प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग और द्रव्यानुयोग ये चार भेद हैं। इन चारों अनुयोगों को ‘चार वेद’ भी कहते हैं। ये चारों ही अनुयोग सम्यक्त्व की उत्पत्ति के लिये कारण हैं। सम्यग्दृष्टि के सम्यक्त्व को मल…