चक्रवर्ती भगवान भरत ज्ञानस्थली तीर्थ पूजा
जैन – जैनेतर ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार से प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम से इस देश का नाम भारत पड़ा | उन्हीं सम्राट चक्रवर्ती ने छह खंड वसुधा पर शासन करके घर में वैरागी की तरह रहकर दीक्षा लेते ही दिव्य केवलज्ञान प्राप्त कर लिया , उन सिद्ध परमेष्ठी के इतिहास का दिग्दर्शन कराने की पवित्र भावना से परम पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने कनाटप्लेस दिल्ली में ”भगवान भरत ज्ञानस्थली तीर्थ ” का निर्माण कराकर ३१ फुट ऊंचे भरत भगवान विराजमान किये , साथ ही वियतनाम पत्थर में
ह्में के अंदर रत्न चौबीसी ,आचार्य श्री शांतिसागर कीर्तिस्तम्भ आदि का निर्माण होकर उनकी सुन्दर पूजा आराधना के लिए यह पुस्तक लिखी है |