सुदर्शन सेठ काव्य कथानक
सुदर्शन सेठ की काव्य कथा रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती भव्यात्माओं! एक प्राचीन सत्य कथानक की ओर ले चलती हूँ आपको, जिसमें एक ग्वाला एक महामुनिराज की सेवा करके सातिशय पुण्य संचित करता है। जंगल में मुनि ध्यानलीन हैं, तो क्या होता है- तर्ज-णमोकार णमोकार……….मुनिराज मुनिराज, आतमध्यानी मुनिराज।नग्न दिगम्बर मुनि बैठे हैं, इक जंगल में शान्त।……मुनिराज-२…..गगन गमन…