अड़तालीस दीक्षान्वय क्रियाएँ
अड़तालीस दीक्षान्वय क्रियाएँ इन उपर्युक्त त्रेपन क्रियाओं में से प्रारंभ की तेरह क्रियाएँ निकाल दीजिए तथा अवतार आदि आठ क्रियाएँ मिला दीजिए, तब अड़तालीस हो जाती हैं, यथा ५३-१३·४०, ४०±८·४८। उन आठ क्रियाओं के नाम-अवतार, वृत्तलाभ, स्थानलाभ, गणग्रह, पूजाराध्य, पुण्ययज्ञ, दृढ़चर्या और उपयोगिता। अवतार क्रिया – मिथ्यात्व से दूषित हुआ कोई भव्यपुरुष जब समीचीन मार्ग…