अनेकांतवाद : एक दार्शनिक विश्लेषण
अनेकांतवाद : एक दार्शनिक विश्लेषण अनेकान्त की स्तुति आचार्य श्री प्रभाचन्द्र ने अनेकान्त की स्तुति में कहा है— योऽनेकान्तपदं प्रवृद्धमतुलं स्वेष्टार्थसिद्धिप्रदम्। प्राप्तोऽनन्तगुणोदयं निखिलवन्नि: शेषतो निर्मलम्।। स श्रीमानखिलप्रमाणविषयो जीयाज्जनानन्दन:। मिथ्यैकान्तमहान्धकाररहित: श्रीवर्द्धमानोदित:। (प्रमेयकमलमाार्तण्ड पृ. ५१३ द्वि. भाग) अर्थात् जो अनेकान्त पद को प्राप्त है, ऐसा अखिल प्रमाण का विषय जयशील हो। वह अनेकान्त पद प्रवृद्धशाली एवं अतुल…