जैन न्याय में वाद की मौखिक तथा लिखित परम्परा
जैन न्याय में वाद की मौखिक तथा लिखित परम्परा वाद का स्वरूप (नैयायिकों का मत)—जब से मनुष्य मेें विचारशक्ति का विकास हुआ, तभी से पक्ष—प्रतिपक्ष के रूप में विचारधाराओं का संघर्ष भी हुआ है। इसी से वाद—प्रवृत्ति का जन्म हुआ। नैयायिक इस वाद—वृत्ति को ‘कथा’ का नाम देकर इसके तीन भेद करते हैं—वाद, जल्प और…