42. णमोकार मंत्र का माहात्म्य(स्तोत्र)
णमोकार मंत्र का माहात्म्य(स्तोत्र) (श्री उमास्वामि आचार्यविरचित) हिन्दी पद्यानुवाद-आर्यिका चन्दनामती विष्लिष्यन् घनकर्मराशिमशनि: संसारभूमीभृत:। स्वर्निर्वाणपुरप्रवेशगमने, नि:प्रत्यवाय: सतां।। मोहांधावटसंकटे निपततां, हस्तावलम्बोऽहतां। पायान्न: स चराचरस्य जगत: संजीवनं मन्त्रराट्।।१।। (१) णमोकार यह मंत्रराज, घनकर्म समूह हटाता है । यह संसार महापर्वत, भेदन में वज्र कहाता है ।। सत्पुरुषों को स्वर्ग मोक्ष दे, संकट दूर भगाता है । मोह महान्धकूप … Continue reading 42. णमोकार मंत्र का माहात्म्य(स्तोत्र)
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