Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
  • विशेष आलेख
  • पूजायें
  • जैन तीर्थ
  • अयोध्या

अकंपनाचार्य (Akampanacharya)

December 6, 2022शब्दकोषdeeksha

अकंपनाचार्य (Akampanacharya)


सात सौ मुनियों के संघ में नायक थे । हस्तिनापुर के राजा महापद्म ने अपने पुत्र पद्मराज को राज्य देकर छोटे पुत्र विष्णुकुमार के पास मुनि हो गये । राजा पद्म के बलि आदि चार मंत्री थे जो जिनधर्म के द्वेषी थे। एक बार अकम्पनाचार्यादि सात सौ मुनि वहां के बगीचे में आकर रूक गये यह जान उन विद्वेषियों ने राजा के पास रखे धरोहर रूप वर को मांगकर यज्ञ के बहाने मुनियों को चारों ओर से घेर कर आग लगा दी। उधर मिथिला में श्रवण नक्षत्र के कम्पित होते देख श्रुतसागर मुनि के मुख से हाहाकार शब्द सुन सारी बात जान क्षुल्लक जी ने विष्णुकुमार मुनि के पास जाकर सब घटना सुनाकर विक्रिया ऋद्धि को प्रयोग करने की बात कही। तब विक्रिया ऋद्धि को जान मुनिराज ने ऋद्धि के प्रभाव से उन पर आये उपसर्ग को दूर किया और बाद में प्रायश्चित्त ले अपना आत्मकल्याण किया।
उसी दिन से रक्षा की स्मृति में श्रावण शुक्ला पूर्णिमा को प्रतिवर्ष रक्षाबन्धन पर्व मनाया जाता है।

Previous post अचेतन (Achetan) Next post अकालमृत्यु (Akalmratyu)
Privacy Policy