वर्तमान चौबीसी में चौदहवें तीर्थंकर भगवान अनन्तनाथ हुए जिन्होनें अनन्तानन्त तीर्थंकरो की शाश्वत जन्मभूमि अयोध्या में राजा सिंहसेन की महारानी जयश्यामा की पवित्र कुक्षि से ज्येष्ठ कृष्णा द्वादश को जन्म लिया और घोर तपश्चरण कर चैत्र कृष्णा अमावस्या को सम्मेद शिखर से निर्वाणपद की प्राप्ति की ।
पूर्व के तीसरे भव में धातकीखण्ड में पूर्व मेरू से उत्तर की ओर अरिष्ट नगर का छद्मस्थ नामक राजा था। आगे पूर्व के दूसरे भव में पुष्पोत्तर विमान में इन्द्रपद प्राप्त किया ।