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अभिनंदननाथ की आरती!
July 31, 2017
जिनेन्द्र भक्ति
jambudweep
भगवान श्री अभिनंदननाथ की आरती-४
तर्ज—मैं तो भूल चली………..
अभिनन्दन भगवान की आरती
अभिनंदन प्रभू जी की आज, हम सब आरति करें।
बड़ा सांचा प्रभू का दरबार, सब मिल आरति करें।।टेक.।।
राजा स्वयंवर के घर जब थे जन्में, इन्द्रगण आ मेरू पे
अभिषेक करते, नगरी अयोध्या में खुशियां अपार, प्रजाजन उत्सव करें
अभिनंदन प्रभू जी की ……।।१।।
माघ सुदी बारस की तिथि बनी न्यारी,
प्रभुवर ने उग्र वन में दीक्षा थी धारी,
त्रैलोक्य पूज्य प्रभुवर की आज, सब मिल आरति करें,
अभिनंदन………….।।२।।
पौष सुदी चौदस में केवल रवि प्रगटा,
प्रभु की दिव्यध्वनि सुनकर जग सारा हर्षा,
केवलज्ञानी प्रभुवर की आज, सब मिल आरति करें,
अभिनंदन………….।।३।।
शाश्वत निर्वाणथली सम्मेद गिरि है,
वहीं पे प्रभू ने मुक्तिकन्या वरी है,
मुक्तिरमापति प्रभू की आज, सब मिल आरति करें,
अभिनंदन………….।।४।।
प्रभु तेरे द्वारे हम आरति को आए,
आरति के द्वारा भव आरत मिटाएं,
‘‘चंदनामति’’ मिले शिवमार्ग, सब मिल आरति करें
अभिनंदन…………।।५।।
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