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इक्ष्वाकुवंश

June 7, 2022शब्दकोषjambudweep

इक्ष्वाकुवंश


जब भोगभूमि का अन्त वव कर्मभूमि का प्रारम्भ समय था उस समय भगवान ने मनुष्यों को इक्षु का रस संग्रह करने का उपदेश दिया था इसलिए जगत के लोग उन्हेंं इक्ष्वाकु कहने लगे अत: सर्वप्रथम भगवान आदिनाथ से यह वंश प्रारम्भ हुआ पीछे इसकी दो शाखाएं हो गयीं एक सूर्यवंश और दूसरी चन्द्रवंश ।

सूर्यवंश की शाखा भरतचक्रवर्ती के पुत्र अर्ककीर्ति से प्रारम्भ हुई क्योंकि अर्क नाम सूर्य का है । इस सूर्यवंश का नाम ही सर्वत्र इक्ष्वाकुवंश प्रसिद्ध है । चन्द्रवंश की शाखा बाहुबली के पुत्र सोमयश से प्रारम्भ हुई, इसी का नाम सोमवंश भी है क्योंकि सोम और चन्द्र एकार्थवाची हैं ।

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