हस्तिनापुर तीर्थ पर अष्टान्हिक पर्व में चल रहा इंद्र ध्वज महामंडल विधान बंधुओं हस्तिनापुर की धरा को देखकर शायद ऐसा सोचने पर मजबूर हो जाता कि यह मध्यलोक है या स्वर्ग यहां सुबह से लेकर रात्रि तक पूजा होती रहती है। ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से हर दिन पूजा अभिषेक नए-नए विधानों की रचना पूज्य माताजी ने की है।
वह विधान भी सभी भक्त लोग करके बहुत ही सुख की अनुभूति करते हैं। आचार्य कुंदकुंद देव के अनुसार तो दानम पूजा मुख्य अर्थात श्रावक के लिए दान और पूजन यह दोनों नित्य के आवश्यक कर्तव्य हैं। इसलिए पूजन करना यह श्रावक का आवश्यक कार्य होना ही चाहिए।
इसके अतिरिक्त अनेकानेक मंडल विधान की पूजा की जाती हैं। जिसमें सर्वोत्कृष्ट एवं अचिंत्य फल प्रदायक ऐसा यह इंद्र ध्वज ध्वज नामक विधान है जिसकी रचना पूज्य करने प्रमुख ज्ञानमती माताजी ने सन 1976 में 3 माह के अंत समय में की समय में की जिसे देखकर अवश्य ही आश्चर्य प्रतीत होता है
इस विधान में 50 पूजाएं हैं और सभी पूजाओं के पद अलग-अलग शब्दों में लिखना बहुत ही विददता एवं भाषाविद की बात है। इस इंद्र ध्वज विधान में मध्यलोक के सभी अकृत्रिम जिनालयों की पूजा की जाती है। मध्यलोक के बीच में सुमेरु पर्वत है उसमें 16 चैत्यालय हैं।
यह इंद्र ध्वज विधान जब भक्तजन करते हैं तो विधान करने वाले एवं श्रोताओं को अतिशय रूप से मंत्रमुग्ध करने वाला सिद्ध होता है इसका महत्व अचिंत यह कथन कथन यह कथन कथन यही है इस धाम की महिमा सुनिए सन 1976 में जब पूज्य माता जी ने यह यह ने यह यह विधान पूर्ण किया उसके कुछ दिन बाद विधान का पूरा बस्ता जो कि अच्छी कि अच्छी तरह से काट लगा हुआ था वह बस्ता बंदर उठा ले गया उस समय माताजी खतौली उत्तर प्रदेश में विराजमान थी
प्रदेश में विराजमान थी प्रदेश में विराजमान थी खतौली उत्तर प्रदेश में विराजमान थी प्रदेश में विराजमान थी प्रदेश में विराजमान थी माता जी और सभी श्रावण और सभी श्रावण एकदम घबरा गए संघ की बहने व श्रावक लोग रोटी ले जाकर बंदर को देने लगे बहुत ही परिश्रम करने के पश्चात वह बस्ता बंदर ने ऊपर से गिरा दिया बस्ते की गांठ पूज्य माता जी ने ऐसी लगाई थी
कि बस्ता सुरक्षित ऊपर से नीचे सराफा बाजार में गिरा तक सभी लोग बहुत ही प्रसन्न हुए और उसी दिन इंद्र ध्वज विधान का चमत्कार जान लिया जान लिया जान लिया विधान का चमत्कार जान लिया जान लिया जान लिया ऐसा इंटर 10 विधान स्थानिक पर्व पर्व में हो रहा है सभी लोग यह विधान पारस चैनल के माध्यम से देख कर पुण्य लाभ पुण्य लाभ करें एवं मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होगी यही भगवान से प्रार्थना है।