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इन्द्रियजय

June 7, 2022UncategorizedDeeksha Jain

इन्द्रियजय

उन्मार्गगामी दुष्ट घोड़ोे का जैसे लगाम के द्वारा निग्रह करते हैंं वैसे ही तत्त्वज्ञान की भावना से इन्द्रिय रूपी अश्वों का निग्रह हो सकता है । पांचों इन्द्रियों के विषयभूत अमनोज्ञ पदार्थों में तथा स्त्री पुत्रादि जीव रूप और धन आदि अजीव रूप ऐसे मनोज्ञ पदार्थों में राग – द्वेष का न करना ही पांच इन्द्रियोें का संवर या इन्द्रिय जय कहलाता है ।

जो साधु भले प्रकार अनुप्रेक्षाओं का सदा चिन्तवन करता है, स्वाध्याय मेंं उद्यमी और इन्द्रिय विषयों से प्राय: मुख मोड़े रहता है वह अवश्य ही मन को जीतता है ।

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