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एम.ए.(उत्तरार्ध) इन जैनोलॉजी(तृतीय पत्र)

April 19, 2023Books FinalHarsh Jain

एम.ए.(उत्तरार्ध) इन जैनोलॉजी(तृतीय पत्र)



अहिंसा : विश्वशांति का अमोघ उपाय

  • 01.1 जैनधर्म में वर्णित अहिंसा की सूक्ष्म विवेचना
  • 01.2 अहिंसा के संबंध में प्रमुख भारतीय चिन्तकों के विचार
  • 01.3 अहिंसा परमो धर्म

अनेकांत एवं स्याद्वाद : जैनदर्शन की अद्वितीय देन

  • 02.1 अनेकांत और स्याद्वाद जैनधर्म के मूल आधार हैं
  • 02.2 अनेकांतवाद एवं आधुनिक भौतिक विज्ञान
  •  02.3 स्याद्वाद संशयवाद अथवा छल नहीं है
  • 02.4 अनेकांत-स्याद्वाद और सप्तभंगी का पारस्परिक संबंध

जैनदर्शन में ज्योतिष विद्या

  •  03.1 जैनागम में ज्योतिष
  •  03.2 भारतीय ज्योतिष के सिद्धान्त
  •  03.3 नक्षत्रों के कार्य एवं नामाक्षर में छिपा रहस्य
  • 03.4 मुहूर्त विचार

जैन वास्तु विद्या

  •  04.1 वास्तु शिल्प
  •  04.2 वास्तु नियमानुसार भवन निर्माण की रूपरेखा
  •  04.3 जिनमंदिर निर्माण हेतु वास्तु नियम
  •  04.4 वास्तु से संबधित कतिपय प्रमुख ज्ञातव्य विषय
  • 04.5 जिन प्रतिमा और पंचकल्याणक प्रतिष्ठा

 जैन आगम में वर्णित आयुर्वेद एवं यंत्र मंत्र आदि

  • 05.1 ज्योतिष मंत्र-यंत्र आदि का संक्षिप्त इतिहास
  •  05.2 जैन शासन में यंत्र विद्या
  •  05.3 स्वप्न विज्ञान : स्वप्न दर्शन का शुभाशुभ फल
  •  05.4 जैनाचार ही आयुर्वेद है
  • 05.5 कल्याणकारक ग्रंथ में वर्णित प्रासुक चिकित्सा विधि
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