Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
  • विशेष आलेख
  • पूजायें
  • जैन तीर्थ
  • अयोध्या

एम.ए.(पूर्वार्ध) इन जैनोलॉजी (द्वितीय पत्र)

April 20, 2023Books FinalHarsh Jain

एम.ए.(पूर्वार्ध) इन जैनोलॉजी (द्वितीय पत्र)



गृहस्थ से श्रावक बनने की प्रक्रिया

  • 01.1 गृहस्थ धर्म
  • 01.2 जैनागम में वर्णित श्रावक धर्म
  • 01.3 गृहस्थों के अष्टमूलगुण
  • 01.4 गृहस्थों के षट् आवश्यक कर्म

गृहस्थों की आचार शुद्धि

  • 02.1 उत्तम आचरण का आधार- शाकाहार
  • 02.2 खानपान की शुद्धि परमावश्यक
  • 02.3 मानव धर्म की विराट भूमिका
  • 02.4 श्रावकाचार संग्रह में वर्णित श्रावक के विशेष कर्तव्य

आदर्श विद्यार्थी एवं श्रावक के कर्तव्य

  • 03.1 विद्यार्थियों की आदर्श जीवनचर्या
  • 03.2 व्रत उपवास : वैज्ञानिक अनुचिंतन
  • 03.3 श्रावक की त्रेपन कियाएँ
  • 03.4 श्रावक धर्म के एकादश सोपान : ग्यारह प्रतिमा

जैन मुनि चर्या

  • 04.1 दीक्षा का महत्त्व
  • 04.2 मूलाचार में वर्णित मुनिचर्या
  • 04.3 दिगम्बर मुनि की नित्य-नैमित्तिक क्रियाएं
  • 04.4 संपूर्ण परिग्रह त्याग से ही मोक्ष संभव है।

आर्यिका चर्या (जैन साध्वी चर्या)

  • 05.1 नारी जीवन की उत्कृष्ट साधना आर्यिका दीक्षा
  • 05.2 आर्यिका की आगमोक्त विनय विधि
  • 05.3 मुनि और आर्यिका की चर्या में अन्तर
  • 05.4 ऐतिहासिक आर्यिकाएँ

Previous post एम.ए.(पूर्वार्ध) इन जैनोलॉजी (प्रथम पत्र) Next post एम.ए.(पूर्वार्ध) इन जैनोलॉजी (तृतीय पत्र)
Privacy Policy