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करण

November 15, 2022शब्दकोषjambudweep

करण


जीव के शुभ – अशुभ आदि परिणामों की करण संज्ञा है | सम्यक्त्व व चारित्र की प्राप्ति मे सर्वत्र उत्तरोत्तर तरतमता लिए तीन प्रकार की परिणाम दर्शाये गये है – अध:करण, अपूर्वकरण, अनिव्रत्तिकरण |

इन तीनों मे उत्तरोत्तर विशुद्धि की वृद्धि के कारण कर्मो के बंध मे हानि तथा पूर्व सत्ता मे स्थित कर्मो की निर्जरा आदि मे भी विशेषता होना स्वाभाविक है | इनके अतिरिक्त कर्म सिद्धांत मे बंध , उदय, सत्त्व आदि जो दस मूल अधिकार है उनको भी दस करण कहते है वह दस करण इस प्रकार है –

१. बंध

२. उत्कर्षण

३. संक्रमण

४. अपकर्षण

५. उदीरणा

६. सत्त्व

७. उदय

८. उपशम

९. निधत्ति और

१०. नि:काचना

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