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कर्मभूमि

November 15, 2022शब्दकोषjambudweep

कर्मभूमि


लोक में जीवों के निवास स्थान को भूमि कहते है | ऊर्ध्वलोक, मध्यलोक, और अधोलोक ऐसे तीन लोको मे मध्यलोक मे मनुष्य व तिर्यंचो की निवासभूत दो प्रकार की रचनाए है – भोगभूमि व कर्मभूमि | जहा के निवासी स्वयं खेती आदि शत् कर्म करके अपनी आवश्यकताए पूरी करते है उसे कर्मभूमि कहते है यद्यापि भोगभूमि पुण्य का फल समझी जाती है परन्तु मोक्ष के द्वार रूप कर्मभूमि ही है भोगभूमि नहीं है | यह कर्मभूमि अढई द्वीप मे पन्द्रह हाई अर्थात पांच भरत, पांच ऐरावत और पांच विदेह मे | मानुषोत्तर पर्वत के इस भाग मे  अढई द्वीप प्रमाण मनुष्य क्षेत्र है जम्बूद्वीप , धातकी खण्ड और अर्धपुष्कर ये अढई द्वीप है इनमे पांच सुमेरु पर्वत है | एक सुमेरु पर्वत के साथ भरत हैमवत आदि सात सात क्षेत्र है उनमे से भरत, ऐरावत व विदेह ये तीन कर्मभूमियाँ है शेष भोग भूमिया है | इस प्रकार ५ सुमेरु सम्बन्धी १५ कर्मभूमिया है |

यदि पांचो विदेहो के ३२-३२ क्षेत्रो की गणना भी की जाए तो पांच भरत, पांच ऐरावत और १६० विदेह , इस प्रकार कुल १७० कर्मभूमिया है षट् काल परिवर्तन मे चौथे से छठे काल तक कर्मभूमि है ।

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