# आचार्य परमेष्ठी के ३६ मूलगुण होते हैं।
# सुदर्शन मेरु के सौमनस वन से पांडुकवन ३६००० योजन की ऊँचाई पर है।
# नरक में पैदा होते ही जीव ३६ आयुधों के मध्य गिरता है एंव गेंद के समान उछलता है।
# भवनवासी देवों के उतरेन्द्र वशिष्ठ, जलकांत, महाघोष हरिकांत, अमित वाहन एंव अडिग वाहन आदि उतरेन्द्रों में प्रत्येक के भवन में ३६—३६ लाख अकृत्रिम जिनालय है।
# अनंतनाथ भगवान के ३६ अनुबद्ध केवली हुए।
# विमलनाथजी के ३६०० वादी मुनि थे।
# धर्मनाथ जी के ३६००० अवधिज्ञानी थे, महावीर स्वामी की ३६००० आर्यिकाएं थी।
# शांतिनाथ जी के ३६ गणधर थे।