Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
गणधरवलय विधान की आरती!
October 11, 2020
जिनेन्द्र भक्ति
jambudweep
गणधरवलय विधान की आरती
तर्ज—चाँद मेरे आजा रे………..
आरती गणधर स्वामी की।
ऋद्धि समन्वित, सबका करें हित,
निज में सदा रत रहते।।टेक.।।
मुनि व्रत धारण कर जो नर, उग्रोग्र तपस्या करते।
तप के ही बल पर वे मुनि, नाना ऋद्धी को वरते।।
आरती गणधर स्वामी की ।।१।।
श्री विष्णुकुमार मुनी को, हुई प्राप्त विक्रिया ऋद्धी।
उपसर्ग दूर कर मुनि का, हो गई सफल उन ऋद्धी ।।
आरती गणधर स्वामी की ।।२।।
अक्षीणमहानस ऋद्धी, युत मुनि आहार जहाँ हो।
उनकी ऋद्धी से उस दिन, अक्षय भंडार वहाँ हो।।
आरती गणधर स्वामी की ।।३।।
चारणऋद्धीयुत ऋषिगण, आकाशगमन करते हैं।
ढाई द्वीपों के अंदर, विचरण करते रहते हैं।।
आरती गणधर स्वामी की ।।४।।
कलिकाल में कोई मुनिवर, निंह ऋद्धि प्राप्त करते हैं।
चंदनामती फिर भी वे, शक्तीयुत तप करते हैं।।
आरती गणधर स्वामी की ।।५।।
Tags:
Aarti
Previous post
गणिनी ज्ञानमती माताजी की आरती-5
Next post
गणिनी ज्ञानमती माताजी की आरती-3
Related Articles
मुनिसुव्रतनाथ की आरती!
June 10, 2020
jambudweep
तीस चौबीसी विधान की आरती!
October 12, 2020
jambudweep
धर्मनाथ भगवान की आरती!
October 12, 2020
jambudweep