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गुरू दीक्षा का महत्व!

July 17, 2017जनरल नॉलेजjambudweep

गुरू दीक्षा का महत्व



गुरु के पास जो श्रेष्ठ ज्ञान होता है, वह अपने शिष्य को प्रदान करने और उस ज्ञान में उसे पूरी तरह से पारंगत करने की प्रक्रिया की गुरु दीक्षा कहलाती है। गुरु दीक्षा गुरू की असीम कृपा और शिष्य की असीम श्रद्धा के संगम से ही सुलभ होती है। शास्त्रों में लिखा है- जैसे जिस व्यक्ति के मुख में गुरु मंत्र है, उसके सभी कार्य सहज ही सिद्ध हो जाते हैं। गुरु के कारण सर्वकार्य सिद्धि का मंत्र प्राप्त कर लेता है। गुरु दीक्षा मुख से मंत्र आदि बोलकर, दृष्टि के द्वारा अंतर्मन को जगाकर और स्पर्श के द्वारा कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करके दी जाती है। भारतीय पंरम्परा के अनुसार सभी शिष्यों और साधकों के लिए गुरु दीक्षा एक अनिवार्य कर्म हैं इसके बगैर कोई भी सिद्धि संभव नहीं है। 

मांग में सिंदूर क्यों सजाती हैं विवाहिता?

मांग में सिंदूर सजाना सुहागिन स्त्रियों का प्रतीक माना जाता है, वहीं इससे उनके रूप-सौन्दर्य में भी निखार आ जाता है। मांग सिंदूर सजाना एक वैवाहिक संस्कार भी है। शरीर-रचना विज्ञान के अनुसार सौभाग्यवती स्त्रियाँ जिस स्थान पर सिंदूर सजाती हैं, वह स्थान ब्रह्यरंध्र और अहिम नामक मर्मस्थल के ठीक ऊपर है।स्त्रियों का यह मर्मस्थल अत्यंत कोमल होता हैं। इसकी सुरक्षा के निमित्त स्त्रियों यहां पर सिंदूर लगाती हैं। सिंदूर में कछ धातु अधिक मात्रा में होती है। इस कारण चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़तीं और स्त्रिी के शरीर में विद्युतीय उत्तेजना नियंत्रित रहती है। 

पेट में कीड़े क्यों होते हैं?

 कुछ बच्चों के पेट में कीड़े आमतौर पर वेंचुए के आकार के होते हैं। इन्हें गोल कृमि कहते हैं। क्या आप जानते हैं कि ये कीड़े पेट में क्यों होते हैं? इन कीड़ों के अंडे आमतौर पर फलों, सब्जियों, खुली मिठाई और बाजार में बिकने वाली खुली खाद्य वस्तुओं में होते हैं। फलों, सब्जियों को बिना धोए खाने पर और खुली मिठाई व बाजारू चीजें खाने पर ये अंडे हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं। आंतों में ये कीड़े बड़े आनंद के साथ रहते हैं, क्योंकि वहां इन्हें हमारा खाया हुआ भोजन मिल जाता है। जो भोजन हमारे शरीर को मिलना चाहिए, उसका बहुत सारा अंश ये कीड़े खा जाते हैं। परिणाम यह होता है कि इनकी उपस्थिति के कारण आदमी दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जाता है। इन कृमियों की त्वचा काफी मोटी और सख्त होती है, हमारे पेट में उपस्थित पाचक रसों और अम्लों का कोई प्रभाव नहीं होता। गोल कृमि मनुष्य और पशुओं की आंतों में रहते हैं। माता गोल कृमि ३० से.मी. तक बढ़ती है, जबकि नर इससे कुछ छोटा है। गोल कृमि पैदा न हों इसके लिए आवश्यक है कि हम साफ और स्वच्छ पदार्थ की खाएं। 

क्यों चमकती हैं जानवरों की आंखे-

 बच्चों, आपने देखा होगा कि रात को अनेक जानवरों की आंखे चमकती हैं। दरअसल जानवरों की आंखों में एक पदार्थ की पतली सी परत होती है। यह परत आंखों पर पड़ने वाली रोशनी को प्रतिवर्तित कर देती है। इसी रोशनी के सहारे ये जानवर आने शिकार को आसानी से देख पाते हैं। कहने का अर्थ है कि इस पतली सी परत के कई लाभ हैं। इस बारे किए गए अध्ययनों से ज्ञात हुआ हे कि सभी जानवरों की आंखे अलग तरह से चमकती हैं। यदि आंखों में रक्तवाहिनयां अधिक होती हैं तो चमक लाल होती है और यदि इनकी संख्या कम होती है तो यह चमक सपेद या हल्की पीली होती है। १. गाय के ऊपर के आगे वाले ४ दांत नहीं होते। २. एक मक्खी की औसतन आयु १४ दिन होती है। ३. विश्व में सबसे कम पुस्तवें भूटान से प्रकाशित होती हैं। 

खाते समय भी रहें शिष्ट-

आप किसी होटल में खाने का आनंद उठा रहें हो या घर के भोजन कक्ष में मेहमानों के साथ बैठे हों, खान-पान की सभी स्थितियों में भोजन-कक्ष के अंदर यदि आप शिष्टाचार के निम्नलिखित मूलभूत नियमों को अपनाएंगे तो स्वयं आप और अन्य सभी लोग प्रसन्नता का अनुभव करेंगे और सहज वातावरण में भोजन किया जा सकेगा। 

मेहमानों के साथ घर में-

 १. गृहभोज में अकेले निमंत्रित होने पर मेजबान से पूछे बगैर अपने साथ किसी को मत ले जाइए।

२. खाने की मेज पर यदि कोई अपरिचित व्यक्ति आपके पास बैठा हो,तो उससे बीच-बीच में स्वाभाविक बातचीत अवश्य करें।

3 . घरेलू वातावरण में भोजन पर आमंत्रित हो और मेजबान पर खाना परोसने की जिम्मेदारी हो तो खाना परोसने में मेजबान की मदद अवश्य करे।

४. भोजन करते वक्त न तो इतनी धीरे खाएं और न ही इतनी तेज कि अन्य लोगों को असुविधा हो।

5 . खाते समय यह प्रयास करे कि कांटे, छुरी व चम्मच के प्लेट से टकराने की तेज आवाज न हो।

६. यदि मेजबान किसी वस्तु को लेने का पुनः आग्रह करें, तो इच्छा होने पर लें अन्यथा मुस्कराकर शिष्टाचारपूर्वक मन कर दें।

७. परिचित के यहाँ भोजन करते हुए भोजन की तारीफ में कुछ शब्द कहना न भूलें।

८. भोजन समाप्त होने पर वापस लौटने से पहले मेजबान को भोजन के लिए धन्यवाद अवश्य करें। 

होटल में-

 १.यदि होटल में आपके कुछ परिचित व्यक्ति किसी मेज पर पहले से खा-पी रहें हों और आप अचानक वहां पहुंच जाएं, तो जब तक वे स्वयं आमंत्रित न करें,उनके बीच सम्मिलित न हों।

२.यदि होटल में किसी परिचत के खाने का नियंत्रण दिया हो तो, मेजबान को ही मीनू तय करने दें।आप केवल अपना सुझाव दें।

३.भोजन करते समय जोर-जोर से बातें न करें।

४.खाने के बीच में सिगरेट न पिएं।

५.बैर को जो से आवाज देकर हाथों से भेज के पास हो तो उसका ध्यानय आकर्षित करने के लिए हाथ से इशारा देकर या हाथ से इशारा करना काफी होता है।

6. खाने के बाद, उन्हीं बरतनों में हाथ न धोएं। यदि हाथ धोने के लिए अलग से पानी का कोई बरतनों मे पर रखा है, तो उसमें ही हाथ धोए अन्यथा वाश-बेसिन पर जा धोएं।

खुश रहने के लिए व्यस्त रहें

 एक अध्ययन में सामने आया है कि कुछ न कुछ काम करते रहने वाले लोग खाली बैठे लोगों के मुकाबले ज्यादा खुश रहते हैं खुद को व्यस्त रखने वाले कामों में गुजारे के लिए काम करने, पैसा कमाने की चाहत के लिए किया गया काम या लोगों की मदद करने जैसे बातें शामिल हो सकती हैं। रिसर्च कहते हैं कि खुश रहने के लिए खाली बैठे रहने से कहीं बेहतर है किसी बेकार काम की धुन में रमे रहना। 

तिलक की महत्ता-

 दोनों भृकुटियों के मध्य आज्ञा चक्र की स्थिति मानी गई और इस स्थान गई है और इस स्थान पर तिलक धारण करने पर यह जागृत होने से मस्तिष्क की क्रियाशीलता और अंतर्मन की संवेदनाशीलता में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो जाती है। कोई भी पुण्य कर्म करते हुए सभी को तिलक लगाना चाहिए।

बड़ा ही महत्व है

 १. नानी में नाती का, मनुष्यों में जाति का। स्वप्नों में हाथी का, बड़ा ही महत्व है। २. बच्चों में बेर का, भारतवासी में देर का। स्वप्नों में शेर का, बड़ा ही महत्व है। ३. मकड़ी में जाला का, ठंडी में पाला का। स्वप्नों में दो माला का, बड़ा ही महत्व है।

४. पशुओं में गज का, पृथ्वी में रज का। स्वप्नों में सूरज का बड़ा ही महत्व है।

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