
तेरहवें तीर्थंकर — श्री विमलनाथ जी
तेरहवाँ गुणस्थान — सयोग केवली
तेरहवें कुलकर — प्रसेनजित
| १.अहिंसा | २. सत्य |
| ३. अस्तेय | ४. अचौर्य |
| ५. ब्रह्मचर्य | ६. ईर्या समिति |
| ७. भाषा समिति | ८. एषणा समिति |
| ९. आदान निक्षेपण समिति | १०. प्रतिष्ठापन समिति |
| ११. मनगुप्ति | १२. वचन गुप्ति |
| १३. काय गुप्ति |
