Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
  • विशेष आलेख
  • पूजायें
  • जैन तीर्थ
  • अयोध्या

जायफल!

July 20, 2017प्राकृतिक चिकित्साjambudweep

जायफल


 
जायफल का उल्लेख आयुर्वेदीय तथा निघण्टुओं में प्राचीनकाल से प्राप्त होता है “
जायफल और जावित्री का प्रयोग मसाले के रूप में होता है “
जायफल के तेल का उपयोग साबुन बनाने तथा सुगन्धित द्रव्य के रूप में किया जाता है “
जायफल को चारों ओर से घेरे हुए रक्तवर्ण का कठिन आवरणयुक्त मांसल कवच होता है जिसे ‘जावित्री’ कहते हैं ” यह सूखने पर अलग हो जाता है ” इस जावित्री के अंदर जायफल होता है,जो अंडाकार,गोल तथा १ इंच व्यास का बाहर से धूसर वर्ण का सिकुड़ा हुआ दिखाई देता है ” जायफल की तासीर गर्म होती है अतः गर्म प्रकृति वाले लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए “
विभिन्न रोगों में जायफल से उपचार –
१- जायफल को पानी में घिसकर मस्तक पर लगाने से सर का दर्द ठीक होता है “
२- जायफल को पीसकर कान के पीछे लेप करने से कान की सूजन में आराम मिलता है “
३- जायफल के तेल में भिगोई हुई रुई के फाहे को दांतों में रखकर दबाने से दांत के दर्द में लाभ होता है “
४- ५०० मिलीग्राम जायफल चूर्ण में चाशनी मिलकर सेवन करने से खांसी,सांस फूलना ,भूख न लगना,क्षय रोग एवं सर्दी से होने वाले जुकाम में लाभ होता है “
५- जायफल तथा सौंठ बराबर मात्रा में लेकर जल में घिसकर सेवन करने से शीघ्र ही दस्त बंद हो जाते हैं “
६- जायफल को पानी में घिसकर पिलाने से जी मिचलाना ठीक हो जाता है “
७- एक से दो बूँद जायफल तेल को बताशे में डालकर खिलाने से पेट दर्द में लाभ होता है “
८- जायफल तथा जावित्री के बारीक चूर्ण को जल में घोलकर लेप करने से झाइयाँ दूर होती हैं “
 
Tags: Ayurveda
Previous post जामुन में हैं भरपूर औषधीय गुण! Next post कितना गुणकारी है रसभरा संतरा!

Related Articles

आसान नहीं है वजन घटाना!

July 13, 2017jambudweep

सिंघाड़ा – फायदे!

July 14, 2017jambudweep

सूजन, गांठ, फोड़ा और घाव का घरेलू उपचार!

July 14, 2017jambudweep
Privacy Policy