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जिनकी भगवान महावीर के प्रति अपूर्व श्रद्धा है!

August 14, 2017जनरल नॉलेजjambudweep

जिनकी भगवान महावीर के प्रति अपूर्व श्रद्धा है



—संकलन—रमा जैन
महावीर के वचन मानवी आचरण की उज्जवलतम प्रस्तुति है। आहिंसा का महान सिद्धान्त, जिसे पश्चिम जगत में लॉ ऑफ नान वायलेंस के नाम से जाना जाता है, सर्वाधिक मूलभूत सिद्धान्त है, जिसके द्वारा मानवता के कल्याण के लिए आदर्श संसार का निर्माण किया जाता है।
—डॉ. एल्प्रेड डब्ल्यू पार्वर, इंग्लैण्ड
भगवान महावीर जिन्होंने भारत के विचारों को उदारता दी, आचार को पवित्रता दी, जिसने इंसान के गौरव को बढ़ाया, उसके आदर्श को परमात्म पद की बुलंदी तक पहुँचाया, जिसने इंसान और इंसान के भेदों को मिटाया, सभी को धर्म और स्वतन्त्रता का अधिकारी बनाया, जिसने भारत के अध्यात्म संदेश को अन्य देशों तक पहुँचाने की शक्ति दी। सांस्कृतिक स्त्रोतों को सुधारा उन पर जितना भी गर्व करें, थोड़ा ही है।
—डॉ. हेल्कुथफान ग्लाजेनाप्प्, जर्मनी
महावीर का जीवन अन्तवीर्य से ओत—प्रोत है। आहिंसा का प्रयोग इन्होंने स्वयं अपने ऊपर किया और फिर सत्य और आहिंसा के शाश्वत धर्म को सफल बनाया। जो काल को भी चुनौती देते हैं, ऐसे भगवान को जिन और वीर कहना सार्थक है। आज के लोगों को उनके आदर्श की आवश्यकता है।
—डॉ. फर्नेडो बेल्लिनी फिलिप, इटली
भगवान महावीर सत्य और आहिंसा के अवतार थे। उनकी पवित्रता ने संसार को जीत लिया था। भगवान महावीर का नाम यदि इस संसार में पुकारा जाता है तो उनके द्वारा प्रतिपादित आहिंसा के सिद्धान्त के कारण। आहिंसा धर्म को अगर किसी ने अधिक से अधिक विकसित किया है तो वे भगवान महावीर ही थे।
—महात्मा गाँधी
भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त मुझे बहुत प्रिय है। मेरी प्रबल अभिलाषा है कि मैं मृत्यु के बाद जैन धर्मी परिवार में जन्म धारण करूँ।
—जार्ज बर्नार्ड शा
यदि संसार को तबाही से बचाना है और कल्याण के मार्ग पर चलना है तो भगवान महावीर के संदेश और उनके बताये रास्ते को ग्रहण किये बिना और कोई रास्ता नहीं।
—सर्वपल्ली राधाकृष्णन
भगवान महावीर पुन: जैनधर्म के सिद्धान्त को प्रकाश में लाये। भारत में यह बौद्धधर्म से पहले मौजूद था। प्राचीन काल में असंख्य पशुओं की बलि दे दी जाती थी। इस बलि प्रथा को समाप्त कराने का श्रेय जैनधर्म को है।
—बाल गंगाधर तिलक
आहिंसा के महान प्रचारक केवल भगवान महावीर ही थे। उन्होंने तप, साधना और त्याग के बाद सारे विश्व को यदि आहिंसा का जैन संदेश न दिया होता तो संसार में आहिंसा का नामा—निशान न होता।
—धर्मानन्द कौशाम्बी
भगवान महावीर ने डंके की चोट पर मुक्ति का संदेश घोषित किया कि धर्म मात्र सामाजिक रूढ़ि नहीं, बल्कि वास्तविक सत्य है। धर्म में मनुष्य और मनुष्य का भेद स्थायी नहीं रह सकता। कहते हुये आश्चर्य होता है कि महावीर की इस महान शिक्षा ने समाज के हृदय में बैठी हुई भेद भावना को बहुत शीघ्र नष्ट कर दिया और सारे देश को अपने वश में कर लिया।
—रवीन्द्र नाथ टैगोर
भगवान महावीर ने स्त्री जाति को महान दिखाया। जिसका भय महात्मा बुद्ध को था, उसको महावीर ने कर दिखाया। नारी जाति के वे उद्धारक और अग्रदूत थे। भगवान महावीर के उपदेश शांति और सुख के सच्चे रास्ते है। यदि मानवता उनके सद्उपदेशों पर चले तो वह अपने जीवन को आदर्श बना सकती है।
—डॉ. एल्प्रेड डब्ल्यू पार्वर, इंग्लैण्ड
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