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10. जीव दया

March 20, 2017Booksjambudweep

जीव दया


मृगसेन धीवर ने मुनिराज से नियम लिया कि जाल में जो मछली पहले आवेगी, उसे नहीं मारूँगा, उसे काले धागे से बांधकर छोड़ दूँगा। उसी दिन उसके जाल में जो मछली आई, उसे निशान करके नदी में छोड़ दिया। पुन: दिन भर में पाँच बार वही मछली जाल में आई उसने पाँचों ही बार उसे छोड़ दिया। वह मृगसेन धीवर उसी रात्रि में पूर्व कर्मोदय से सर्प के काटने से मरकर धनकीर्ति सेठ हुआ और पाँच बार उसकी प्राण रक्षा हुई। अनंतर वह धनकीर्ति जिन दीक्षा लेकर सर्वार्थसिद्धि में अहमिन्द्र हुआ है।

प्रिय बालकों!जीव दया से बढ़कर संसार में दूसरा धर्म नहीं है और जीव हिंसा से बढ़कर दूसरा पाप नहीं है। ऐसा समझकर सदैव जीवों की दया पालन करो।

Tags: Bal Vikas Part-2 [Hindi]
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