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ज्ञानमती जी नाम तुम्हारा, ज्ञान सरित अवगाहन है!
June 15, 2020
भजन
jambudweep
ज्ञानमती जी नाम तुम्हारा
ज्ञानमती जी नाम तुम्हारा, ज्ञान सरित अवगाहन है।
तेरी पावन प्रतिभा लखकर, मेरा मन भी पावन है।। टेक.।।
मुझ अज्ञानी ने माँ जबसे, तेरी छाया पाई है।
तब से दुनिया की कोई छवि, मुझको लुभा न पाई है।।
ब्रह्मचर्य का तेज अनोखा, साधक में साधकतम है।
तेरी पावन प्रतिभा लखकर, मेरा मन भी पावन है।।१।।
ना मैं तेरी कहकर मैना, उड़ आई गृहिंपजरे से।
सारी वसुधा बनी कुटुम्बी, एक कुटुम्ब को तजने से।।
इसीलिए इतिहास बन गया, कैसा सुन्दर जीवन है।
तेरी पावन प्रतिभा लखकर, मेरा मन भी पावन है।।२।।
कितने ग्रन्थों की रचयित्री, युग की पहली बालसती।
तेरे चरणों में आ करके, बन गए कितने बालयती।।
कहे ‘चंदनामती’ ज्ञान से, दूर हुआ मिथ्यातम है।
तेरी पावन प्रतिभा लखकर, मेरा मन भी पावन है।।३।।
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