त्रैलोक्यजिनालयव्रत
A type of vow (fasting) to be observed for different 48 days in regard to different temples of Teenlok (three worlds). तीन लोक में अकृत्रिम – शाश्र्वत जिन मंदिर 856, 97, 481 है। अधोलोक के भवनवासी देवों के 10 भेदों के मंदिरों की अपेक्षा 10, मध्यलोक के पंचमेरू आदि के 12, वयतरों के 8, ज्योतिर्वासी के 5 , वैमानिक देवों की अपेक्षा 12 एंव सिद्धशिला के सिद्धों की अपेक्षा 1 ऐसे 10+ 12+8+5+12+1= 48 व्रत किये जाते हैं। उत्कृष्ट विधि में उपवास, मध्यम में अल्पाहार , जघन्य में एकासन किया जाता है । इनकी विधि एंव मंत्र व्रतविधिएंव पूजा पुस्तक भाग-2 से देखना चाहिए। समुच्च मंत्र – ऊँ ह्रीं त्रैलोक्यशाश्रवतजिनालयजिनबिम्बेभ्यों नमः।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]