Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
  • विशेष आलेख
  • पूजायें
  • जैन तीर्थ
  • अयोध्या

धार्मिक पहेलियाँ-४!

July 8, 2017जैनधर्मjambudweep

धार्मिक पहेलियाँ


१५१. पाप नशाता पुण्य बुलाता, चउगतियों से हमें छुड़ाता ।
कितने मंगल कौन बताए, नाम सभी के हमें गिनाएं।।
उत्तर— मंगल चार होते है:— १. अरिहन्त मंगल है। २. सिद्ध मंगल है। ३. साधु मंगल है। ४. जिनेन्द्र भगवान द्वारा प्रतिपादित धर्म मंगल है।
१५२. देव लोग ही जहाँ हैं जाते, हम तुम केवल भाव बनाते ।
नंदीश्वर में कितने मंदिर , कौन बताए पहुँच के अन्दर।।
उत्तर— कुल ५२ मंदिर।
१५३. बिना छना जल कभी न पीना, जलगालन ही मोक्ष का जीना।
कितने जीव हैं कौन बताए, व्यर्थ बूँद न कभी बहाए।।
उत्तर— धार्मिक दृष्टिकोण — १. बूँद में असंख्यात। वैज्ञानिक दृष्टिकोण— १ बूँद में ३६४५०।
१५४. त्रस हिंसा का त्याग कराया, पर थावर से बच ना पाया।
कौन सा व्रत है वह कहलाता, मोक्ष मार्गं में हमें बढ़ाता।।
उत्तर— अहिंसा अणुव्रत ।
१५५. गिरी पड़ी वस्तु ना उठाना, ना ही उसका दान कराना।
कौन सा व्रत है वह कहलाता, मोक्षमार्ग में हमें लगाता।।
उत्तर— अचौर्य अणुव्रत।
१५६. गगन में उड़ते पर फैलाते, यहाँ वहाँ वे जाते आते।
जीव कौन सा नाम हैं पाते, पंचेन्द्रिय के भेद कहाते।।
उत्तर— नभचर जीव।
१५७. जल में चलते जल में फैलाते, यहाँ वहाँ न जीवन पाते।
जीव कौन सा नाम है पाते, पंचेन्द्रिय के भेद कहाते।।
उत्तर— जलचर जीव ।
१५८. पृथ्वी पर ही जीवन पाया, धरा पे चलती सारी माया।
जीव कौन सा नाम है पाते, पंचेंन्द्रिय के भेद कहाते।।
उत्तर— थलचर जीव।
१५९. मल्लप्पा का राज दुलारा, विद्याधर है सबने पुकारा।
प्रतिमा ब्रह्मचर्य सुखदाई, ग्रही कहाँ पर किससे भाई।।
उत्तर— देशभूषण जी महाराज से खानिया (चूलगिरी) में।
१६०. दर्शन से शुभ भाव है जागा, कौए का फिर माँस है त्यागा।
भील युगल का नाम बताओ, त्याग की महिमा खूब बढ़ाओ।।
उत्तर— पुरुरवा भील एवं कालिका भीलनी।
१६१. कोई किसी का सगा न होता, विषयों में क्यों जीवन खोता ।
पिता को जिसने जेल में डाला, नाम बताओ कर्म का मारा।।
उत्तर— राजा श्रेणिक का पुत्र कुणिक।
१६२. धर्म का जिनने ज्ञान कराया, भूल सिकन्दर को बतलाया।
उन गुरुवर का नाम बताओ, धन्य है मुनिवर शीश नवाओ।।
उत्तर— श्री कल्याण मुनिराज।
१६३. गिल्ली डण्डा बालक खेले, खेल—खेल में शिक्षण ले लें।
गुफा में कौन से मुनि विराजे, विद्याधर को ज्ञान पढ़ावे।।
उत्तर— श्री महाबल मुनिराज।
१६४. झूठ का जिसने फल है पाया, नरक गति की मिली है माया।
दोनों मित्र का नाम बताओ, नारद को पर भूल न जाओ।।
उत्तर— नाारद के दोनों मित्र का नाम १. पर्वत— गुरु पुत्र २. वसु—राजा।
१६५. पूज्य मुनिवर महाव्रतधारी , नमन करे जग जनता सारी ।
प्रथम है दीक्षा कहाँ पे दीनी, विद्यागुरु से किसने लीनी।।
उत्तर— आचार्य श्री विद्यासागर जी ने प्रथम मुनि दीक्षा ऐलक श्री समयसागरजी को द्रोणगिरी सिद्धक्षेत्र में दी थी।
१६६. तीर्थंकर है प्रथम कहाते, ऋषभदेव जयकार लगते।
मात—पिता का नाम बताओ, सही बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— ऋषभदेव के पिता का नाम— नााभिराय माता का नाम— मरुदेवी
१६७. कुन्दकुन्द आचार्य हमारे, भव्य जनों के एक सहारे।
कितनी वय में दीक्षा धारी, पूज्य बने सबके अनगारी।।
उत्तर— ग्यारह वर्ष की उम्र में
१६८. सोलम तीर्थंकर कहलाते, शान्तिनाथ शुभ नाम है पाते।
मात—पिता का नाम बताओ, विनय से उनको शीश नवाओ।।
उत्तर— श्री शान्तिनाथ तीर्थंकर के पिता का नाम— राजा विश्वसेन। माता का नाम— रानी ऐरादेवी।
१६९. दण्डक वन में आहार लीना, रामचन्द्र शुभ धर्म है कीना।
युगल मुनि का नाम बताओ, महिमा उनकी खूब है गाओ।।
उत्तर— गुप्ति और सुगुप्ति नाम के दो चारण ऋद्धिधारी मुनिराज।
१७०. जंगल में जब आग है छाई, ग्रन्थ मिला ग्वाले को भाई।
उस ग्वाले का नाम बताओ, कुन्दकुन्द मुनि शीश नवाओ।।
उत्तर— मणिरत्न नाम का ग्वाला अथवा कौण्डेश ग्वाला।
१७१. शांति सागराचार्य हमारे, जन—जन को हैं प्राण से प्यारे ।
कब औ कहाँ पर जन्म है पाया, दीक्षा लेकर छोड़ी माया।।
उत्तर— आ. शान्तिसागरजी महाराज का जन्म सन १८७२ में स्थान बेलगाँव जिले के भोजग्राम के अन्तर्गत येलगुल गा्म में।
१७२. देखो कितनी सुन्दर काया, दुषमा—सुषमा काल में जाया।
महापुरुष वे कौन कहाते, बीस चार की संख्या पाते।।
उत्तर— कामदेव महापुरुष।
१७३. महावीर अष्टक है बनाया, ख्याती खूबहै जिसने पाया।
कवि का पक्का नाम बताओ, नाम बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— श्री भागेन्दु अर्थात भागचन्द्र कवि।
१७४. सीताजी को हर कर लाया, पापी रावण वह कहलाया।
किसने उसका मान गलाया, चक्ररत्न से प्राण गँवाया।।
उत्तर— नाारायण श्री लक्ष्मण।
१७५. सरस्वती पूजा है बनाया, दशलक्षण भी आपने गाया।
कवि का पक्का नाम बताओ, नाम बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— श्री द्यानतराय कविवर।
१७६. कुन्दकुन्द आचार्य हमारे, भव्य जनों के एक सहारे।
कितना जीवन उनने पाया, उम्र बताओ मेरे भाया।।
उत्तर— ९५ वर्ष १० माह १५ दिन।
१७७. लोहा भी सोना बन जाता, जिनके चरण स्पर्श है पाता।
उन आचार्य का नाम बताओ, सब जन मिलकर शीश नवाओ।।
उत्तर— आचार्य पूज्यपाद महाराज।
१७८. वृषभदत्त के पुत्र कहावे, ब्रह्मचर्य की महिमा गावे।
सपूत का तुम नाम बताओ, सिद्ध क्षेत्र पटना है जाओ।।
उत्तर— सेठ सुदर्शन।
१७९. मोह का कैसा उदय है आया, मृत काया में राग जगाया।
बोधज्ञान अब कौन है देवे, रामचन्द्र जी शिवपथ लेवे।।
उत्तर— जटायु पक्षी एवं सेनापति कृतान्त वक्र के जीव जो कि देव की पर्याय में थे, स्वर्ग से आकर श्रीराम को सम्बोधित किया।
१८०. शान्ति सागराचार्य हमारे, जन—जन को हैं प्राण से प्यारे।
कब औ कहाँ पर तन को त्यागा, व्रत समाधि ले धर्म निभाया।।
उत्तर— भादो सुदी दूज सन् १९५५ को महाराष्ट्र के कुंथलगिरी सिद्धक्षेत्र में ।
१८१. महापुण्य का फल है पावें, तीर्थंकर नेमि कहलावे ।
मात—पिता का नाम बताओ, नाम बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— श्री नेमिनाथ जी के पिता का नाम— समुद्रविजय राजा। माता का नाम— शिवादेवी रानी।
१८२. व्रत ले जीवन सफल बनाया, माँ सीता ने शिव पथ पाया।
जन्म उन्होंने कहाँ है पाया, कर समाधि जब छूटी काया।।
उत्तर— सोलहवें स्वर्ग में प्रतीन्द्र देव।
१८३. नरक है जिसको निश्चित जाना, भव्य जीव क्षुल्लक का बाना।
महापुरुष का नाम बताओ, नाम बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— नारद महापुरुष ।
१८४. ध्यान में लीन मुनिवर ठाड़े, कर्म आ गये उनके आड़े ।
दूर किया उपसर्ग राम ने, कौन से मुनिवर खड़े ध्यान में ।।
उत्तर—देशभूषण व कुलभूषण मुनि।
१८५. तीर्थंकर ने आहार पाया, हम सबने मिल पर्व मनाया।
पर्व कौन सा मिल के मनाते, ऋषभदेव को शीश नवाते।।
उत्तर— अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल—३)।
१८६. मुनिवर देखो पिच्छी धारे, जीव दया का व्रत है पालें।
पिच्छी के तुम गुण है बताओ, कम से कम है पाँच गिनाओं।।
उत्तर— पिच्छी के पाँच गुण:·—१ लघुता , २. मृदुता, ३. हल्कापन, ४. धूल पसीना अग्राह्यता ५. सुन्दरता।
१८७. पार्श्र्व प्रभु हैं सबसे न्यारे, तीर्थंकर की पदवी धारे।
कब औ कहाँ से मुक्ति पाई, सही बताओ मेरे भाई।।
उत्तर— श्रावण शुक्ला सप्तमी (मुकुट सप्तमी) को सम्मेद शिखरजी से ।
१८८. पार्श्र्व प्रभु ने ध्यान लगाया, शत्रु ने पत्थर बरसाया।
शत्रु का तुम नाम बताओ, समता से सब कर्म नशाओ।।
उत्तर— शम्बर नामक ज्योतिषी देव।
१८९. णमोकार का मान बढ़ाया, जीवन्धर शुभ नाम है पाया।
मोक्ष कहाँ से उनने पाया, कामदेव का पद ललचाया।।
उत्तर— सिद्धवर कूट।
१९०. केवलज्ञान जिन्होंने पाया, भरत क्षेत्र में प्रथम कहाया।
प्रथम प्रभु का नाम बताओ, केवलज्ञानी तुम बन जाओ।।
उत्तर— अनन्तवीर्य।
१९१. सड़ा—सड़ा कर जिसे बनाया, सकल कंद का फल जो खाया ।
खाद्य वस्तु का नाम बताओ, कभी भूलकर इसे न खाओ।।
उत्तर— साबूदाना।
१९२. आँतो को है शीघ्र गलाता, सुन्दर जीवन नाश कराता।
ऐसे पेय का नाम बताओ, बचकर जीवन सफल बनाओ।।
उत्तर— कोल्डड्रिंक्स (पेप्सी, कोको कोला आदि)
१९३.खट्टा मीठा स्वाद कहाय, साल—साल का मन को भाय।
खाद्य वस्तु का नाम बताओ, इसे त्याग कर नरक न जाओ।।
उत्तर— आचार।
१९४. जहरीला श्रृंगार कहाता, दूषित भोजन को भी बनाता।
कभी न उसको भूल लगाना, मिला है इसमें रक्त भी माना।।
उत्तर— नेलपॉलिश।
१९५. कीड़ों की वो लार कहाता, धर्म अहिंसा शीघ्र नशाता।
वस्त्र कौन सा वह कहलाता, नाम बताओं मिलें न साता।।
उत्तर— रेशम का वस्त्र ।
१९६. सनत कुमार चक्री कहलाये, चन्द्रप्रभु की पूजा रचायें।
मोक्ष उन्होंने कहाँ से पाया, कामदेव का पद ललचाया।।
उत्तर—सिद्धवर कूट ।
१९७. सेनापति में रत्न कहाया, भरत सभा में शोभा पाया।
एक पत्नी व्रत जिसने धारा, नाम बताओ उसका प्यारा।।
उत्तर— जय कुमार।
१९८. पीठ के दर्शन ही कर पाते, तुंगीगिरी पर ध्यान लगाते।
कौन से मुनिवर नाम बताएँ, स्वर्ग पाँचवे में है जाएँ।।
उत्तर— बलदेव मुनि।
१९९. अनन्तकायिक जीव कहाता, नरक निगोद हमें ले जाता।
वनस्पति का नाम बताओ, त्याग के जीवन सफल बनाओ।।
उत्तर— जमीकंद— आलू, प्याज आदि”
२००. बैल की आँत में जिसे लगाया, पीट पीट कर उसे बनाया।
उस वस्तु का नाम बताओ, उसे त्याग कर पुण्य कमाओ।।
उत्तर— चाँदी का वर्क।
 
Tags: paheliyan
Previous post अधोलोक! Next post आदर्शों को अपना लूँ!

Related Articles

धार्मिक पहेलियाँ-६!

July 18, 2017jambudweep

धार्मिक पहेलियाँ-३!

July 8, 2017jambudweep

धार्मिक पहेलियाँ-२!

February 10, 2017jambudweep
Privacy Policy