Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
  • विशेष आलेख
  • पूजायें
  • जैन तीर्थ
  • अयोध्या

निषधपर्वत का वर्णन

July 16, 2017स्वाध्याय करेंjambudweep

निषधपर्वत का वर्णन


सोलससहस्सअडसयबादाला दो कला णिसहरुंदं। उणवीसहिदा सूई तीससहस्साणि छल्लक्खं१।।१७५०।। १६८४२। २। ६३००००। १९१९
कूडो सिद्धो णिसहो हरिवस्सो तह विदेहहरिविजया। सीदोदपरविदेहा रुजगो य हवेदि णिसहउवरिम्मि।।१७५८।।
ताणं उदयप्पहुदी सव्वे हिमवंतसेलकूडादो। चउगुणिया णवरि इमे कूडोवरि जिणपुरा सरिसा।।१७५९।।
जंणामा ते कूडा तंणामा वेंतरा सुरा तेसुं। बहुपरिवारेिंह जुदा पल्लाऊ दसधणुत्तुंगा।।१७६०।।

निषध पर्वत का वर्णन

निषध पर्वत का विस्तार सोलह हजार आठ सौ बयालीस योजन और दो कला तथा सूची उन्नीस से भाजित छह लाख तीस हजार योजन प्रमाण है।।१७५०।। १६८४२ । ६३०००००/१९। निषध पर्वत के ऊपर सिद्ध, निषध, हरिवर्ष, विदेह, हरि, विजय, सीतोदा, अपरविदेह और रुचक, ये नौ कूट स्थित हैं।।१७५८।। इन कूटों की ऊँचाई आदि सब हिमवान् पर्वत के कूटों से चौगुणी है। विशेषता केवल यह है कि कूटों पर स्थित ये जिनपुर हिमवान् पर्वत सम्बन्धी जिनपुरों के सदृश हैं।।१७५९।। जिस नाम के धारक ये कूट हैं, उसी नाम के धारक व्यन्तरदेव उन कूटों पर निवास करते हैं। ये देव बहुत परिवारों से युक्त, एक पल्य प्रमाण आयु वाले और दश धनुष उँचे हैं।।१७६०।।
 
Tags: Jain Geography
Previous post गन्धोदक एक विवेचन! Next post ध्यान कैसे करें ?!

Related Articles

सुमेरु के नंदनवन में वापी के मध्य सौधर्मेन्द्र का प्रासाद है

February 12, 2017jambudweep

मानुषोत्तर पर्वत के जिनमंदिर एवं कूटों की संख्या

July 6, 2017jambudweep

विजयमेरु आदि चार मेरु का वर्णन

July 14, 2017jambudweep
Privacy Policy