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निषध पर्वत पर तिगिंछ सरोवर!

July 22, 2017विशेष आलेखaadesh

निषध पर्वत पर तिगिंछ सरोवर


सोलसलहस्सअडसयबादाला दो कला णिसहरुंदं। उणवीसहिदा सूई तीससहस्साणि छल्लक्खं।।१७५०।।
१६८४२ । २/१९ । ६३००००/१९ ।
पउमद्दहाउ चउगुणरुंदप्पहुदी भवेदि दिव्वदहो। तीगिच्छो विक्खादो बहुमज्झे णिसहसेलस्स।।१७६१।।
वा २०००, आ ४०००, गा ४०, पउ ४२, संखा ५६०४६४, वा १, मु ३, प ४, मज्झि ४, अं ४ वा २ ।
तद्दहपउमस्सोवरि पासादे चेट्ठदे य धिदिदेवी। बहुपरिवारेहिं जुदा णिरुवमलावण्णसंपुण्णा।।१७६२।।
इगिपल्लपमाणाऊ णाणाविहरयणभूसियसरीरा। अइरम्मा वेंतरिया सोहम्मिंदस्स सा देवी।।१७६३।।
जेत्तियमेत्ता तिंस्स पउमगिहा तेत्तिया जिणिंदपुरा। भव्वाणाणंदयरा सुरकिण्णरमिहुणसंकिण्णा ।।१७६४।।
ईसाणदिसाभाए वेसमणो णाम मणहरो कूडो। दक्खिणदिसाविभागे कूडो सिरिणिचयणामो य।।१७६५।।
णइरदिदिसाविभागे णिसहो णामेण सुंदरो कूडो। अइरावदो त्ति कूडो तीगिच्छीपच्छिमुत्तरविभागे।।१७६६।।
उत्तरदिसाविभागे कूडो सिरिसंचवो त्ति णामेण । एदेहिं कूडेहिं णिसहगिरी पंचसिहरि त्ति।। १७६७।।
वरवेदियाहिं जुत्ता वेंतरणयरेहिं परमरमणिज्जा। एदे कूडा उत्तरपासे सलिलम्मि जिणकूडो।।१७६८।।
सिरिणिचयं वेरुलियं अंकमयं अंबरीयरुजगाइं। सिहिरी उप्पलकूडो तिंगिच्छिदहस्स सलिलम्मि।।१७६९।।

निषध पर्वत पर तिगिंछ सरोवर

निषध पर्वत का विस्तार सोलह हजार आठ सौ ब्यालीस योजन और दो कला तथा सूची उन्नीस से भाजित छः लाख तीस हजार योजन प्रमाण है।। १७५० ।। १६८४२ । २/१९। ६,३००००/१९।। निषध पर्वत के बहुमध्य भाग में पद्मद्रह की अपेक्षा चौगुणे विस्तारादि से सहित और तिगिंछनाम से प्रसिद्ध एक दिव्य तालाब है।।१७६१।। व्यास २०००, आयाम ४०००, अवगाह ४०, नाल की ऊँचाई ४२, संख्या ५६०४-६४, बाहल्य १, मृणाल ३, पद्म ४, मध्यव्यास ४, अंतव्यास २ वा ४ योजन। उस द्रह संबंधी पद्म के ऊपर स्थित भवन में बहुत परिवार से संयुक्त और अनुपम लावण्य से परिपूर्ण धृति देवी निवास करती है।।१७६२।। एक पल्य प्रमाण आयु की धारक और नाना प्रकार के रत्नों से भूषित शरीर वाली अतिरमणीय वह व्यन्तरिणी सौधर्म इन्द्र की देवी है।।१७६३।। उस तालाब में जितने पद्मगृह हैं, उतने ही भव्य जनों को आनन्दित करने वाले किन्नर-देवों के युगलों से संकीर्ण जिनेन्द्रपुर-जिनमंदिर हैं।।१७६४।। तिगिंछ तालाब के ईशान दिशा भाग में मनोहर वैश्रवण नामक कूट, दक्षिण दिशा भाग में श्रीनिचय नामक कूट, नैऋत्यदिशा भाग में सुन्दर निषध नामक कूट, पश्चिमोत्तरकोण में ऐरावत कूट और उत्तरदिशा भाग में श्रीसंचय नामक कूट है। इन कूट से निषध पर्वत ‘पंचशिखरी’ इस प्रकार प्रसिद्ध है।।१७६५-१७६७।। ये वूकूटत्तम वेदिकाओं से सहित और व्यन्तर नगरों से अतिशय रमणीय हैं। उत्तरपाश्र्व भाग में जल में जिनवूकूट।।१७६८।। तिगिंछ तालाब के जल में श्रीनिचय, वैडूर्य, अंकमय, अंबरीक (अच्छरीय · आश्चर्य) रुचक, शिखरी और उत्पल कूटत हैं।।१७६९।।
 
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