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पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन जैनोलॉजी (द्वितीय पत्र)

April 19, 2023Books FinalHarsh Jain

पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन जैनोलॉजी
(द्वितीय पत्र)



 जैन न्याय विद्या एवं इसके अध्ययन की आवश्यकता

  •  01.1 जैन न्याय विद्या का स्वरूप व उपयोगिता  
  •  01.2 तर्क एवं तर्क के पक्ष में जैन आचार्यों के स्वर  
  •  01.3 न्यायशास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता

  जैन न्याय शास्त्र

  •  02.1 जैन तार्किक और उनके न्यायग्रंथ
  •  02.2 जैन न्याय की कतिपय प्रमुख कृतियाँ  
  •  02.3 जैन न्याय के कतिपय प्रमुख पारिभाषिक शब्द
  •  02.4 अनेक प्रकार के प्रसिद्ध न्याय

  प्रमाण मीमांसा

  •  03.1 न्याय के अंग व प्रमाण का स्वरूप
  •  03.2 प्रमाण के भेद प्रभेद
  •  03.3 प्रमाण का फल एवं सर्वज्ञसिद्धि

  प्रमेयादि विविध विषयों का विवेचन

  •  04.1 प्रमेय, प्रमिति एवं प्रमाता
  •  04.2 विभिन्न मतानुसार प्रमाण का लक्षण
  •  04.3 सच्चे आप्त के संबंध में तर्क संगत विवेचना
  •  04.4 ईश्वर सृष्टि कर्तृत्व खण्डन

ज्ञान मीमांसा

  •  05.1 सम्यग्ज्ञान के भेद व मतिज्ञान
  •  05.2 श्रुतज्ञान एवं श्रुतावतरण इतिहास
  •  05.3 प्रत्यक्ष ज्ञान
  •  05.4 चारों अनुयोगों की सार्थकता

 

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