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प्रभु महावीर की जन्मभूमि!

June 17, 2020भजनjambudweep

प्रभु महावीर की जन्मभूमी


हे माँ तेरे उपकारों का…………
 
प्रभु महावीर की जन्मभूमि, कुण्डलपुर थी वीरान पड़ी।
छब्बिस सौवें जन्मोत्सव में, माँ ज्ञानमती की दृष्टि पड़ी।।
हो गया चमन कुण्डलपुर में, है दृश्य स्वर्ग जैसा सुन्दर।
जिनमंदिर-नंद्यावर्त महल, ये सब निर्माण बहुत मनहर।।१।।
माता तेरे उपकारों का, बदला न चुकाया जा सकता।
गुरु एवं माता दोनों का, वात्सल्य सरस तुझमें बहता।।
है जनम जनम का पुण्य मेरा, जो मुझे मिली तेरी ममता।
मैंने नहिं देखी अन्य किसी में, तुझ जैसी अनुपम क्षमता।।२।।
बालक जैसी निश्छलता है, उत्साह युवा सम सदा तेरा।
अनुभव में वृद्ध तथा तीनों में, सदा खिला रहता चेहरा।।
जीवन का प्रतिफल है स्वर्णिम, हर कदम ऐतिहासिक तेरा।
तुझ जैसी अनुपम माता को, पा धन्य हुआ जीवन मेरा।।३।।
तेरी काया का रोम-रोम, पावन है तप की महिमा से।
तेरी छाया मनभावन है, वात्सल्यमयी गुणगरिमा से।।
हे माँ! मेरी यह अभिलाषा है, सदा तेरा आशीष मिले।
विश्वास मुझे है तब मेरे, जीवन की सच्ची कली खिले।।४।।
मैं दीपक यदि माँ तेरे प्रति, छोटा चिराग भी बन पाऊँ।
तो समझूँगा सौभाग्य स्वयं का, जीवन सफल बना पाऊँ।।
मन वचन काय से सेवा में, अर्पण है माँ सर्वस्व मेरा।
आदेश मिले सपने में भी तो, पालन का है भाव मेरा।।५।।
 
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