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बहुत कुछ कहते हैं आपके नाखून !

October 6, 2020ज्योतिषjambudweep

बहुत कुछ कहते हैं आपके नाखून

 नाखूनों से मन की भावनाओं को समझा जा सकता है। शरीर की कमजोरी का भी इससे ज्ञान हो सकता है। नाखून लम्बे हों तो फैफड़े कमजोर होते हैं, नाखून की मोड़ यदि अंगुली की ओर झुकी हुई हो और पार्श्व भाग में विशेष मोड़ हो, तो मनुष्य दुर्बल होता है। नाखून पर रेखाएं दुर्बलता का संकेत हैं।’ हाथ के नाखून शरीर के महत्वपूर्ण अंग हैं, एक ओर इनकी आकृति, रंग आदि के आधार पर जहाँ स्वभाव एवं चरित्र का ज्ञान होता है, वहीं भविष्य सम्बन्धी संकेत भी प्राप्त होते हैं। बिन्दु (पुष्पित नख) पाश्चात्य मत से शुभ माने गये हैं। ये धन, सम्पत्ति, शुभ समाचार देने वाले कहे गए हैं। जब यह नाखून के अग्रभाग में पहुँचते हैं, तब फल देते हैं। नीले या काले रंग के धब्बे महान् विपत्ति, रोग एवं कष्टकारक होते हैं। करतल रेखा एवं नखों का वर्ग विभाग हस्तरेखा विज्ञान का एक प्रमुख है। एक प्रकार का कोई प्रमुख अंग है। एक प्रकार का कोई रंग किसी भी हाथ में असम्भव नहीं, तो अत्यन्त कठिन अवश्य है। साधारणतया दो अथवा तीन रंगों का मिश्रण करतल में पाया जाता है। अतएव पूर्णज्ञान के अभाव में केवल रंग एवं धब्बों को देखकर किसी प्रकार का अनुमान लगाकर कोई धारणा नहीं बनानी चाहिए, अन्यथा भ्रम के अतिरिक्त और कोई फल प्राप्त नहीं होगा। 

नख लक्षण 

हस्तसंजीवन में कहा है कि कछुए के पीठ की भांति उठे हुए, रक्तवर्ण के, गुलाबी रंग के, जिनके अग्रभाग सुन्दर तेजयुक्त हों और अन्य अंगुलियों के नाखून परस्पर न मिलें, ऐसे नाखून श्रेष्ठ हैं। ऐसा व्यक्ति धनी, सुखी एवं निरोगी होता है। यदि नाखून सूप के आकार के (लम्बे कम, चौडे अधिक), टूटे, सीपी तुल्य गहरे, पसीने वाले, पीले रंग के हों तो ऐसा व्यक्ति दरिद्र, दु:खी तथा रोगी होता है। जिसके गोल नाखून हों वे धनी एवं सम्पत्तिवान होते हैं। मजबूत नख हों, तो भाग्यवान होता है। पोर (पर्व) के आधे से नखों की उत्पत्ति हो, ऊँचे उठे हों, ताँबे के समान रक्त वर्ण के हों, तो श्रेष्ठ हैं। बहुत बड़े, रूखे, टूटे, सफेद, तेजहीन नख हों, तो दरिद्रता बतलाते हैं। नखों के रंगों के बारे में भारतीय आचार्यों का यह मत है कि जिन नाखूनों में सफेद बिन्दियाँ पड़ती हों, ऐसे पुष्पयुक्त नाखून चरित्रहीनता बतलाते हैं, किन्तु भोजराज का मत है कि यदि सफेद बिन्दु जन्मजात न होकर सामयिक हों, तो शुभ फल देते हैं, लेकिन यह मत युक्तिसंगत नहीं है। ऐसा देखने में आया है कि ऐसे बिन्दु वाला व्यक् चरित्रहीन न भी हो, तो भी अत्यन्त कामी तो होता ही है। युवावस्था में अप्राकृतिक एवं अपूर्ण मैथुन करने वालों के हाथों में ऐसा पाया गया है। इसके साथ ही ऐसा भी अनुभव में आया है कि जब यह बिन्दु नाखून के किनारे पर पहुँचते हैं, तब कोई लाभ या शुभ समाचार भी देते हैं। कुछ आचार्य पुष्पित नखों को दु:खी जीवन का संकेतक मानते हैं। स्त्री के नखों में श्वेतपुष्प उसके स्वेच्छाचारिणी होने का लक्षण है। श्वेतवर्ण के नख होने से काम से जी चुराने वाला होता है। ऐसे नखों में कुचिन्ह हो तो अकस्मात मौत हो सकती है। नाखून यदि तुष-घास के तुल्य एवं मछली के समान रंग के हों तो ऐसे व्यक्ति पुरुषत्वहीन, नपुंसक तथा दरिद्र होते हैं। पीले नाखून वाला व्यक्ति रोगी, धर्महीन तथा दुराचारी होता है। इसी प्रकार मटमैले एवं रूखे नाखून हों तो व्यक्ति परनिन्दा करने वाला होगा। हरे रंग के नाखून वाला व्यक्ति सदाचारहीन, हत्यारा, चोर, पापी आदि होता है। लाल रंग के नाखून सुखी, भोगी, भूमिवान् होने के द्योतक हैं और नीले रंग के नाखून वाले व्यक्ति रोगी, दुराचारी, श्रमशील पाए जाते हैं। चिपटे या फटे नख हों तो व्यक्ति दरिद्र होता है। पीले नाखून वाला व्यक्ति रोगी, धर्महीन तथा दुराचारी होता ह। इसी प्रकार मटमैले एवं रूखे नाखून हों तो व्यक्ति परनिन्दा करने वाला होगा। टेढ़े नाखून वाला व्यक्ति ठग होता है, खण्डित नख आयु कम करते हैं, तर्जनी का नख अपूर्ण हो, तो आधी, मध्यमा का तिहाई, अनामिका को चौथा, कनिष्ठिका का नख अपूर्ण हो तो एक अष्टमांश आयु कम होती है, किन्तु अँगूठे का नख टूटा हो तो व्यक्ति धर्मात्मा होता है। एक आचार्य का मत है कि अन्य अंगुलियों का नाखून उठा होना शुभ है, किन्तु अँगूठे का नख उठा हो तो व्यक्ति भाग्यहीन होता है। स्त्रियों के पैर में अँगूठे का नख यदि लालवर्ण का हो, तो ऐसी स्त्री पति से कम आदर पाती है, ऐसा विवेक विलास में कहा है। नखों की कठोरता एवं कोमलता से ही स्वभाव का भी अनुमान किया जा सकता है। लम्बे नखों से व्यवसाय कुशलता का, जबकि छोटे नख अकुशलता का सूचक होते हैं।

नाखून से रोग निदान 

आधुनिक युग में अनेक चिकित्सक भी नाखूनों से रोगों का निदान करते हैं, क्योंकि नाखून आन्तरिक एवं शारीरिक रोगों को अभिव्यक्त करते हैं। नाखूनों से मन की भावनाओं को समझा जा सकता है। शरीर की कमजोरी का भी इससे ज्ञान हो सकता है। नाखून लम्बे हों, तो फैफडे कमजोर होते है, नाखून की मोड़ यदि अंगुली की ओर झुकी हुई हो और पाश्र्व भाग में विशेष मोड़ हो, तो मनुष्य दुर्बल होता है। नाखून पर रेखाएं दुर्बलता का संकेत है। श्लेष्मा, रक्तचाप, फैफड़े आदि में कमजोरी की शिकायत हो तो नाखून पर रेखाएं दिखाई देती हैं। टॉन्सिल्स, श्वास आदि से पीड़ित रोगियों के नाखून छोटे और चौड़े होते हैं। रक्तचाप, छाती की कमजोरी आदि के रोगियों के नाखुन कुछ लम्बें रहते हैं, लेकिन ऊपर का भाग चौड़ा, नीचे का भाग संकीर्ण होता है, नाखून के नीचे कभी चन्द्रमा के चिन्ह रहते हैं। जिनके नाखूनों में यह चिन्ह नहीं होते हैं, उनका रक्त प्रवाह और हृदय की गति धीमी हो जाती है। यह भी एक प्रकार के रक्तचाप का लक्षण है। चन्द्र चिन्ह रक्तचाप का एक प्रकार का ‘मापकयंत्र’ है। अचानक हृदय गति धीमी हो जाना, लकवे के कारण मुँह से शब्द नहीं निकलना, रक्तचाप के कारण सिर दर्द, ज्वर आ जाना आदि के संकेत चन्द्रमा से मालूम होते हैं। लम्बे नाखूनों से शरीर के ऊध्र्व भाग में बीमारियों का संकेत प्राप्त होता है। नाखून चौड़े हों और बाजू के मांस में गड्ढा हो या आकार कबडी के समान हो, तो धनुर्वात, अर्धांगवात, लकवा आदि का संकेत होता है। उसमें कुछ नीलापन आ जाए तो ऐसी बीमारी की शंकाएं प्रबल होती हैं। जिनके नाखून पतले हों या छोटे हों, वे लोग साधारणतया कमजोर होते हैं। ऐसे लोगों को किसी बीमारी ने पकड़ा हो, तो वह शीघ्र दूर नहीं होती, ये लोग बीमारी से डरते हैं। जो डरपाके हैं वे बात-बात में दब जाते हैं, आपत्ति का सामना नहीं कर सकते। जिनके स्नायु दुर्बल होते हैं, ऐसे व्यक्तियों के नाखून के ऊपर सफेद दाग दिखाई देता है। खाँसी, सर्दी, गाल या गले की सूजन, जख्म रोग आदि का डर लम्बे नाखून वालों को अधिकतर रहता है। शरीर या अंगुलियों के मान से नाखून कुछ लम्बा हो, अंगुली के साथ कसकर गुँथा हुआ हो, तो ऐसे लोग काम में जल्दी थक जते हैं। कटि भाग और मेरूदण्ड में कम ताकत रहती है, इनसे शारीरिक परिश्रम सहन नहीं होता। बहुत से शिकारी या आदिवासियों के नाखून लम्बे होते हैं और इनके रंग में कुछ पीलापन रहता है, साथ-साथ नाखून कुछ मुड़े हुए रहते हैं। इससे यह बात ज्ञात है कि केवल आदिवासी या शिकारी ही नहीं, ऐसे नाखून वाले व्यक्ति निर्दयी होते हैं। लम्बे नाखून यदि सीधे हों, मोड़ कम हो, अंगुलियों में कसकर बँध हुआ न हो, तो स्वभाव कोमल होता है। ऐसा मनुष्य विनयी होता है और दूसरों को समझने की कोशिश करता है। वह अपनी रुचि के विरुद्ध कोई बात ग्रहण करे या न करे परन्तु वह स्पष्ट विरोध नहीं करता। छोटे नाखून तार्विक एवं चंचल स्वभाव के लक्षण हैं, ऐसे लोग बुद्धिमान होते हैं, ये जल्दी से किसी भी बात में फंसते नहीं हैं। साथ ही किसी पर विश्वास शीघ्र नहीं करते, छोटे नाखून कहीं भद्दापन धारक अधिक चौड़ा हो जाए तो ऐसे नाखून वाले व्यक्ति दूसरों का मजाक उड़ाना, बातचीत में दूसरों की बात काटना, दूसरे के अपमान से सुखी होना, इनका स्वभाव धर्म हो जाता है। ये समाज में काँटे जैसे हो जाते हैं। अतिपरिश्रम या अतिचिन्ता से कभी-कभी सामयिक सफेद दाग दिख जाते हैं। परिश्रम या चिन्ता का कारण दूर हो जाने के बाद से व्यक्ति फिर स्वस्त हो जाते हैं, तो ये दाग मिट जाते हैं।
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