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भजन

February 18, 2017भजनjambudweep

भजन


तर्ज-झूठ बोले कौआ काटे……

अम्मा रूठे पापा रूठे, रूठे भाई और बहना।

मैं दीक्षा लेने जाऊँगी तुम देखते रहना।।

माँ – मानो बेटी बात हमारी आयु अभी तोड़ी है।

इतनी आयु में क्यों बिटिया त्याग से ममता जोड़ी है।

दीक्षा में है कष्ट घनेरे तुमरे बस की न सहना।।

मैं दीक्षा लेने जाऊँगी………….

माताजी – कष्टों का ही नाम है जीवन क्यों घबराती हो माता।

झूठे सांसारिक सुख हैं और झूठा है जग का नाता।

वीरा के चरणों में बीते….मेरे दिन और रैना।

मैं दीक्षा लेने जाऊँगी………….

पिताजी – ऐसा ना सोचो बिटिया तुम बड़े लाड़ से पाली हो।

सम्पन्न है परिवार ये सारा फिर भी कोठी खाली हो।

हम बेटी हैं बाप तुम्हारे….कहना मान लो अपना।।

मैं दीक्षा लेने जाऊँगी………….

भाई – माँ का कहना मानो दीदी हम सब तुमरी चरण पड़े।

कैसे मन को कड़ा करोगी जब हम रोयेंगे खड़े खड़े।

रक्षाबंधन जब आयेगा….मेरे याद आये बहना।।

मैं दीक्षा लेने जाऊँगी………….

समझाया सब घर वालों ने कोई रहा नहीं बाकी

छोटे भाई रोते आये हाथ में लेके इक राखी।

इसको बहना बांधती जाओ…..

ये है प्यार का गहना।। मैं दीक्षा लेने जाऊँगी….तुम देखते रहना।। अम्मा रूठे….

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