भगवान ज्ञषभदेव का पुत्र या भगवान की दीक्षा के समय राज्य और केवलज्ञान के समय चक्र तथा पुत्ररत्न की प्राप्ति, छहखण्ड को जीतकर बाहुबली से युद्ध में हारा क्रोध के वंश भाई पर चक्र चला दिया, परन्तु चक्र उनके पास जाकर ठहर गया षोड्श संस्कार व मन्त्रो आदि का उपदेश दिया आयु को क्षीण जान पुत्र अर्ककीर्ति को राज्य देकर दीक्षा धारण की तथा तत्क्षण मनःपर्पय व केवलज्ञान को प्राप्त किया फिर मोक्ष को प्राप्त किया। प्रथम चक्रवर्ती थे।