[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुखशुद्धि मुक्त्करण विधि–Mukhashuddhi Muktkaran Viddhi. The process of abandoning the cleaning of mouth & teeth before taking food for a newly initiated Digambar Jain ascetic. भोजन से पूर्व की जाने वाली मुखशुद्धि (मंजन आदि से) का दीक्षा के पश्चात् सदैव के लिए त्याग करने की एक विशेष विधि;दीक्षावाले दिन दीक्षार्थी का पूर्ण उपवास (अन्न जल आदि समस्त आहार का त्याग) होता है, पुनः अगले दिन दिगंबर जैन साधु की आहारचर्यानुसार नवधाभक्तिपुर्वक आहार ग्रहण करने हेतु नवदीक्षित साधु अपने गुरु के साथ आहारचर्या को निकलते है” इस आहारचर्या से पूर्व गुरु द्वारा उन्हें काष्ठासन पर बिठाकर मुखशुद्धि मुक्तकरण नाम की विधि कराइ जाति है” इस विधि के अनुसार तीन पाँच अथवा तेरेह कटोरियो में लवंग, इलायची आदि से प्रासुक जलको सामने रखकर सिद्ध्भक्ति, योगिभक्ति, आचार्यभक्ति, शान्तिभक्ति पढ़करनवदीक्षित को गुरु उस जल के द्वारा मुखशुद्धि अर्थात कुल्ला करते है; पुनः हमेशा के लिए भोजन s पूर्व की जाने वाली मुखशुद्धि का त्याग करा देते है” यघपि यह विधि वर्तमान मै प्रचलित नै है, लेकिन शास्त्रों मै दिक्षाविधि के अंतर्गत यह विधि वर्णित है” जैसे– त्रयोदशसु पंचसु त्रिषु वा कच्चोलिकासु लवंग एला पूगीफलादिकम निक्षिप्य…..”