Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
  • विशेष आलेख
  • पूजायें
  • जैन तीर्थ
  • अयोध्या

लघु सुखसम्पत्ति व्रत!

March 5, 2014जैन व्रतjambudweep

लघु सुखसम्पत्ति व्रत


इस व्रत में १२० उपवास किये जाते हैं। प्रतिपदा का एक, दो द्वितीयाओं के दो, तीन तृतीयाओं के तीन, चार चतुर्थियों के चार, पाँच पंचमियों के पाँच, छ: षष्ठियों के छ:, सात सप्तमियों के सात, आठ अष्टमियों के आठ, नौ नवमियों के नौ, दश दशमियों के दश, ग्यारह एकादशियों के ग्यारह, बारह द्वादशियों के बारह, तेरह त्रयोदशियों के तेरह, चौदह चतुर्दशियों के चौदह एवं पन्द्रह पूर्णमासियों के पन्द्रह इस प्रकार एक सौ बीस उपवास सम्पन्न किये जाते हैं। १±२±३±४±५±६±७±८±९±१०±११±१२±१३±१४±१५·१२० उपवास। उपवास के दिनों में श्रावक के उत्तरगुणों का पालना और शीलव्रत धारण करना आवश्यक है। इस व्रत में चौबीस तीर्थंकर का मंत्र जपें एवं चौबीसी पूजा करें।
मंत्र-ॐ ह्रीं अर्हं चतुर्विंशतितीर्थंकरेभ्यो नम: अथवा ॐ ह्रीं ऋषभादिवर्धमानान्तेभ्यो नम:।

Tags: Vrata
Previous post सर्वार्थसिद्धि व्रत! Next post लब्धि विधान व्रत की विधि/महिमा

Related Articles

नवदेवता व्रत (रूपार्थवल्लरी व्रत)!

September 21, 2017jambudweep

रोहिणी व्रत विधि!

July 20, 2017jambudweep

सोलहकारण व्रत /भावनाएँ!

September 19, 2017Harsh Jain
Privacy Policy