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वंदना करूँ मैं गणिनी ज्ञानमती की!
June 15, 2020
भजन
jambudweep
वंदना करूँ मैं
तर्ज—पंखिड़ा……
वंदना…… वंदना…… वंदना करूँ मैं गणिनी ज्ञानमती की।
बीसवीं सदी की पहली बालसती की।। वंदना…।।टेक.।।
इनके मात-पिता का, गुणानुवाद मैं करूँ।
इनकी जन्मभूमि का भी, साधुवाद मैं करूँ।।
मिलके आओ, मिलके गाओ, मिलके करो जी।
वन्दना चरण में करके, पुण्य भरो जी।। वंदना…।।१।।
इनके ज्ञान की प्रशंसा, सारी दुनिया करती है।
इनके नाम की प्रशंसा, पुस्तकों में मिलती है।।
मिलके आओ, मिलके गाओ, मिलके करो जी।
वंदना चरण में करके, पुण्य भरो जी।। वंदना….।।२।।
वीर के युग की ये, लेखिका पहली हैं।
ढाई सौ ग्रंथों की, लेखिका साध्वी हैं।।
मिलके आओ, मिलके गाओ, मिलके करो जी।
वंदना चरण में करके, पुण्य भरो जी।। वंदना….।।३।।
इनके वात्सल्य में, माँ की ममता भरी।
इनके सानिध्य में, सबको समता मिली।।
मिलके आओ, मिलके गाओ, मिलके करो जी।
वंदना चरण में करके, पुण्य भरो जी।। वंदना….।।४।।
इनके तप त्याग से, लाभ लेते सभी।
‘‘चन्दना’’ भाग्य से, भक्ति करते सभी।।
मिलके आओ, मिलके गाओ, मिलके करो जी।
वंदना चरण में करके, पुण्य भरो जी।। वंदना….।।५।।
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