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वर्धमानसागर (आचार्य) – Vardhamaanasagar (Aachaarya).:
Name of a Digamber Jain Acharya, the disciple of Acharya Dharmasagar Maharaj in the tradition of Charitra Chakravarti Acharya Shri Shantisagar ji Maharaj.
चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज की परम्परा के एक वर्तमान आचार्य “इन्होंने सन् 1967 में पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से गृहत्याग कर उनसे धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्धयन किया एवं उनकी ही प्रेरणा से आचार्य श्री धर्मसागर महाराज से मुनिदीक्षा ग्रहण की “सन् 1990 में आचार्य श्री अजितसागर महाराज की समाधि के पश्चात् चतुर्विध संघ ने 10 जून 1990 को परम्परा के वयोवृद्ध मुनि आचार्यकल्प श्री श्रेयांसनाथ महाराज को परम्परा के पंचम पट्टाचार्य पद पर अभिषिक्त किया ,पुनः कतिपय साधु एवं श्रेष्ठियों ने 24 जून 1990 को मुनि वर्धमान सागर को द्वितीय पंचम पट्टाचार्य बना दिया ,यहीं से इस अखंड आचार्य परम्परा के दो भेद हुए हैं “