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विरक्त :!

November 21, 2017शब्दकोषjambudweep
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == विरक्त : == भावे विरक्तो मनुजो विशोक:, एतया दु:खौघ—परम्परया। न लिप्यते भवमध्येऽपि सन् , जलेनेव पुष्करिणीपलाशम्।।

—समणसुत्त : ८१

भाव से विरक्त मनुष्य शोक—मुक्त बन जाता है। जैसे कमलिनी का पत्र जल में लिप्त नहीं होता, वैसे ही वह संसार में रहकर भी अनेक दु:खों की परम्परा से लिप्त नहीं होता।

Tags: सूक्तियां
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