लंदन : जैन धर्म के सबसे महत्त्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों में एक शांतिनाथ चरित्र को यूनेस्को ने अपनी विश्व विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को की वैश्विक धरोहर समिति में बुधवार को हुई बैठक में भारतीय पक्ष से प्राप्त इस प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए इसे विश्व विरासत सूची २०१३ में शामिल किया और कहा कि यह पांडुलिपि मानवजाति के लिए विशेष महत्व रखती है। इस ग्रंथ में जैन धर्म में १६ वें तीर्थंकर शांतिनाथ के जीवन से जुड़ी बातें हैं। मूलत: यह ग्रंथ संस्कृत में लिखा हुआ है। यूनेस्कों ने इस ग्रंथ को विश्व के महानतम ग्रंथों में एक माना गया है। १४ वीं शताब्दी में लिखी इस पांडुलिपि में शांति, अहिंसा और बंधुत्व का उपदेश है। इसमें दस चित्र भी हैं जो गुजरात के जैन पेंटिंग से संबन्धित है। इस पांडुलिपि को काजल और खनिज युक्त चाँदी से भोजपत्र (ताड़पत्र) तथा हाथ से निर्मित कागजों पर लिखा गया है।