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शांतिसागर महाराज की आरती!
June 11, 2020
जिनेन्द्र भक्ति
jambudweep
शांतिसागर महाराज की आरती
तर्ज—मन डोले, मेरा ……..
जय जय गुरुवर, हे सूरीश्वर, श्री शांतिसिन्धु महाराज की,
मैं आज उतारूँ आरतिया।।टेक.।।
जग में महापुरूष युग का, परिवर्तन करने आते ।
अपनी त्याग तपस्या से वे, नवजीवन भर जाते ।।
गुरुजी नवजीवन………… जग धन्य हुआ, तव जन्म हुआ,
मुनि परम्परा साकार की, मैं आज उतारूँ आरतिया।।१।।
कलियुग में साक्षात् मोक्ष की, परम्परा नहिं मानी।
फिर भी शिव का मार्ग खुला है, जिस पर चलते ज्ञानी।।
गुरु जी जिस पर……….. मुनि पद पाया, पथ दिखलाया,
चर्या पाली जिननाथ की, मैं आज उतारूँ आरतिया।।२।।
मुनि देवेन्द्रकीर्ति गुरुवर से, दीक्षा तुमने पाई।
भोजग्राम माँ सत्यवती की, कीर्तिप्रभा फैलाई।।
गुरु जी कीर्तिप्रभा………. हे शांतिसिन्धु, हे विश्ववन्द्य,
तेरी महिमा अपरम्पार थी मैं आज उतारूँ आरतिया।।३।।
परमेष्ठी आचार्य प्रथम तुम, इस युग के कहलाए।
सदियों सोई मानवता को, आप जगाने आए।।
गुरु जी आप………….. तपमूर्ति बने, कटुकर्म हने,
उत्तम समाधि भी प्राप्त की, मैं आज उतारूँ आरतिया।।४।।
श्री चारित्रचक्रवर्ती के, चरणों में वंदन है।
अहिविष भी ‘‘चंदनामती’’, तव पास बना चंदन है।।
गुरु जी …………… भव पार करो, कल्याण करो,
मिल जावे बोधि समाधि भी, मैं आज उतारूँ आरतिया।।५।।
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