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श्री ज्ञानमती माता की, सुन करके त्याग कहानी!
June 16, 2020
भजन
jambudweep
श्री ज्ञानमती माता की
तर्ज—ऐ मेरे वतन के लोगों……
श्री ज्ञानमती माता की, सुन करके त्याग कहानी।
परतंत्र धरा के युग की, आती कुछ याद पुरानी।।टेक.।।
भारत की आजादी का, जब जंग छिड़ा धरती पर।
अपनी भी आजादी का, ये स्वप्न देखती थीं तब।।
अंग्रेज से कम नहिं थी तब, सामाजिक रीति बखानी। परतंत्र धरा……।।१।।
गांधी बन इस धरती की, बाला ने कदम उठाया।
निज को स्वतंत्र करने कोे, मैना ने पहल रचाया।।
आजाद हिन्द भारत की, नीती उसने पहचानी। परतंत्र धरा……।।२।।
सन् बावन में आजादी, का पहला ध्वज फहराया।
आश्विन शुक्ला पूनो को, अपना संकल्प निभाया।।
यौवन की महकती काया, संयम से बनी श्रुतज्ञानी। परतंत्र धरा… …।।३।।
वीरों की माँ सम मोहिनी, माँ ने था तुमको पाला।
स्वर्णिम इतिहास बनाकर, निज नाम अमर कर डाला।।
भारत की इस कन्या से, शुरू हुई स्वतंत्र कहानी। परतंत्र धरा……।।४।।
आर्यिका ज्ञानमती बनकर, उद्यान ज्ञान का सींचा।
कुछ कार्य अलौकिक करके, निज पर सबका मन खींचा।।
‘‘चन्दनामती’’ तब छाया, पाकर सब बनते ज्ञानी। परतंत्र धरा……।।५।।
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