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संतोष :!

November 21, 2017शब्दकोषjambudweep
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संतोष : == देिंवदचक्कवट्टित्तणाई रज्जाइ उत्तमा भोगा। पत्ता अणंतखुत्तो, न य हं तित्तिं गओ तेहिं।।

—इन्द्रिय पराजय शतक : १६

देवपन, इन्द्रपन, चक्रवर्तीपन और राज्य आदि के उत्तम भोगों को मैंने अनंत बार पाया है, परन्तु अभी तक मैंने इनसे लेशमात्र भी तृप्ति नहीं पाई है। सव्वग्गंवथविमुक्को, सीईभूओ पसंतचित्तो अ। जं पावइ मुत्तिसुहं, न चक्कवट्टी वि तं लहइ।।

—इन्द्रिय पराजय शतक : ४५

सर्व ग्रंथियों से रहित, विषय के विकारों से उपशांत तथा समता से प्रशांत चित्त वाला व्यक्ति भी संतोष से जो सुख प्राप्त करता है, वह सुख चक्रवर्ती भी नहीं पा सकता।

Tags: सूक्तियां
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