
संभवनाथ तृतीय जिनेश्वर ख्यात हैं। 
कर्ममल धोय के आप निर्मल भये।
मोहसंताप हर आप शीतल भये। 
नाथ अक्षयसुखों की निधी आप हो।
काम को जीतकर आप शंकर बने। 


दोष अज्ञानहर पूर्ण ज्योती धरें। 
शुक्लध्यानाग्नि से कर्मभस्मी किये। 


सर्वसंपत्ति-धर नाथ! अनमोल हो। 



-दोहा-
संभव जिनवर आपने, किया ज्ञान को पूर्ण।
नमूँ नमूँ आपको, करो हमें सुखपूर्ण।।१।।
।।इत्याशीर्वाद:।।