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सज्जन :!

November 21, 2017शब्दकोषjambudweep
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सज्जन : == सम्माणेसु परियणं पणइयणं पेसवेसु मा विमुहं। अणुमण्णह मित्तयणं सुपुरिसमग्गो फूडो एसो।।

—कुवलयमाला: ८५

परिजनों का सम्मान करो, प्रेमीजनों के प्रति उपेक्षा मत करो और मित्रजनों का अनुमोदन करो, यही सज्जनों का सही मार्ग है। थेवं पि खुडइ हियए अवमाणं सुपुरिसाण विमलाणं। वाया लाइय—रेणुं पि पेच्छ अच्छिं दुहावेइ।।

—कुवलयमाला : १८६

निर्मल मन वाले सज्जनों के हृदय में थोड़ा—सा अपमान भी खटकता है। जैसे पवन से आहत धूल का कण यदि आँख में पड़ जाए तो वह भी दु:ख देता है। सुयणो तुसारसरिसो ताविज्जंतो विलाइ न हु जलइ। इयरो दीवयसरिसो कयनेहो जलइ अहिययरं।।

—गाहारयणकोष : ९६

सज्जन तुषार के समान होता है जो तपने पर विलीन हो जाता है किन्तु जलता नहीं। दुर्जन दीप—शिखा के समान होता है, जो स्नेह करने—देने पर अधिक जल उठता है। एक्को च्चिय उदयगिरी सज्जन चूडामणी भुयणमज्झे। जो सीसे काऊण मित्तं उदयं करावेइ।।

—गाहारयणकोष : ७२५

इस संसार में सज्जनों में चूड़ामणि सदृश एक उदयगिरि ही ऐसा पर्वत है जो अपने मस्तक पर मित्र (सूर्य) का उदय कराता है। (विरले लोग अपनी बलि चढ़ाकर भी दूसरों की उन्नति करते हैं।)

Tags: सूक्तियां
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